मांग फिर ज़ोरदार तरीके से उठाई है। पार्टी ने सतत विकास लक्ष्य में ख़राब प्रदर्शन की रिपोर्ट को इसका आधार बनाया है। संपूर्ण क्रांति दिवस के दिन जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर यह राग छेड़ा । उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आदरणीय नरेंद्र मोदी जी, बिहार-झारखंड विभाजन के उपरांत राज्य में प्राकृतिक संपदाओं का अभाव बना रहता है और बिहारवासियों पर प्राकृतिक आपदाएँ भी आती रहती है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में NDA सरकार अपने कुशल प्रबंधन से बिहार में विकास की गति देने में लगी है। लेकिन वर्तमान दर पर अन्य राज्यों की बराबरी संभव नहीं है। नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट इसका प्रमाण है। अतः विनम्र निवेदन है कि ‘बिहार को विशेष राज्य का दर्जा’ देने पट विचार किया जाए और बिहार वासियों को न्याय दें।
कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्ज़ा
देश के आदिवासी बहुल इलाके, सीमावर्त्ती और पर्वतीय दुर्गम इलाके वाले राज्य के साथ बेहद गरीब और पिछले राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है। किसी राज्य की भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और संसाधन के लिहाज से उसकी क्या स्थिति है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ही राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है। बता दें कि विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है। केंद्र सरकार अपने विवेक से सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विशेष राज्य का दर्जा देती है।
किन राज्यों को मिला है विशेष दर्जा
अभी 11 राज्यों- असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड, हिमाचलप्रदेश, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ है। साल 1969 में असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्ज दिया गया था और फिर बाद में अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल और उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्ज मिला।
विशेष राज्य का दर्ज़ा मिलने के फायदे
विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर राज्य को केंद्र सरकार से 90 फीसदी अनुदान मिलता है। इसका मतलब केंद्र सरकार से जो फंडिंग की जाती है उसमें 90 फीसदी अनुदान के तौर पर मिलती है और बाकी 10 फीसदी रकम बिना किसी ब्याज के दी जाती है। जिन राज्यों को विशेष दर्जा प्राप्त नहीं है उन्हें केवल 30 फीसदी राशि अनुदान के रूप में मिलती है और 70 फीसदी रकम उनपर केंद्र का कर्ज होता है। इसके अलावा विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स में भी छूट मिलती है।
बिहार को क्यों मिलना चाहिए यह दर्ज़ा
बिहार देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला गरीब राज्य है। बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां की 90 फीसदी आबादी कृषि कार्य कर जीवकोपार्जन करती है। बिहार में एक ही समय बाढ़ और सूखे की आपदा लोग झेलते हैं। हर वर्ष आनेवाले प्राकृतिक आपदा बाढ़ और सूखा के कारण बिहार को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। साल 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बनने के बाद यहां प्राकृतिक संसाधन नहीं के बराबर है।
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