पूर्णिया ने मक्के की खेती में अमेरिका को पीछे छोड़ा, बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियाँ आ रही है मक्का खरीदने

बिहार के पूर्णिया में एक साथ दो दो फायदे हो गए। पूर्णिया ने मक्के की फसल के पैदावार के मामले में अमेरिका तक तो पीछे छोड़ दिया है और इससे दूसरा बड़ा फायदा ये हुआ है कि पैदावार बढ़ने से यहाँ के मजदूरों को रोजगार मिलने लगा है। बिहार के पूर्णिया ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ऐसे में वहाँ के व्यवसायी मनोज सर्राफ बताते है कि मक्का का रेट उसकी क्वालिटी और मॉस्चोराइज़ेशन पर निर्भर करता है। यहाँ 14% नीचे मॉस्चोराइज़ेशन वाले मक्के की कीमत 1500 से 1550 रुपए प्रति कविंटल है। जबकि इससे अधिक मॉस्चोराइज़ेशन वाले मक्के की कीमत करीब 1450 रुपए कविंटल है।

पूर्णिया और सीमांचल में मक्के की इतनी अच्छी पैदावार हुई है कि प्रति एकड़ उत्पादन में अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। यहाँ का गुलाबबाग मंडी एशिया का मक्के का सबसे बड़ा मंडी बन गया है। यहाँ से कई देशों में मक्के की सप्लाई की जाती है। पूर्णिया में मक्के की खेती से तकरीबन 2 लाख से अधिक किसान जुड़े है। जिसके कारण 50 हज़ार से भी ज्यादा मजदूरों को वहाँ पर रोजगार मिल रहा है। बिहार में मक्के की खेती सबसे बड़े पैमाने पर पुर्णिया और सीमांचल में ही कि जाती है। यहाँ का एक एक किसान प्रति एकड़ 50 कविंटल तक का मक्का उत्पादन करता है। विश्व मे मक्के का सबसे बड़ा उत्पादक अमेरिका का मिडवेस्ट हैर्टलैंड माना जाता है। जिसे पुर्णिया ने पीछे छोड़ दिया है। अमेरिका में मक्का उत्पादन की क्षमता 48 कविंटल प्रति एकड़ है।

काफी मात्र मे होती है मकके की बिक्री

मक्का व्यवसायी सुरेंद्र भगत कहते है कि देश की 50 से अधिक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी गुलाबबाग में आकर मक्का खरीदती है। यहां से हर साल 6 से 7 रेक रेलवे से मक्के की ढुलाई होती है। इसके अलावा पड़ोस के कई देशों में यही से मक्का भेजा जाता है। पुर्णिया में अब 7 जगहों से मक्का लोडिंग के लिए रेक बन गया है जिससे व्यवसाइयों को अब काफी सुविधा मिल रही है।

मक्के की किस्म और क़्वालिटी बहुत अच्छी

मक्के के पैदावार बढ़ने के साथ साथ वहाँ के लोगो को बम्पर रोजगार भी मिल रहा है। गुलाबबाग मंडी में सैकड़ो व्यवसायी मक्के की खरीद में लगे हैं तो वही हज़ारो मजदूरों को भी इसमें रोजगार मिल रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी संतलाल प्रसाद ने कहा कि पुर्णिया में 65 हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। इस सीजन में यहाँ करीब साढ़े 6 लाख मीट्रिक टन मक्के का उत्पादन हुआ है। यह 2 लाख किसान मक्के की खेती करते है और लगभग 50 हज़ार से भी ज्यादा लोग इस रोजगार से जुड़े है। यहाँ के मक्के की किस्म और क़्वालिटी दुनिया भर के सारे मक्को से ज्यादा अच्छी होती है। उन्होंने ये भी बताया कि सरकार ने मक्के का समर्थन मूल्य 1850 रुपए प्रति कविंटल निर्धारित किया हैं। जल्द ही समर्थन मूल्य के साथ मक्के की खरीद शुरू होगी।

Manish Kumar

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