देश विकट परिस्थितियों से जुझ रहा है। देश में लोग जहां विकट स्थिति से गुजर रहे हैं वही कुछ लोगों आपदा को अवसर में बदल रहे हैं। बता दें कि पटना से नालंदा के जिला मुख्यालय बिहारशरीफ तक अप-डाउन लगभग दो सौ किमी दूरी का किराया 36 हजार लिया गया। जिस समय लोग अपने स्वजनों के मौत पर मातम मना रहे उस समय कुछ लोग आपदा को अवसर में बदल कर लोगों को लूट रहे हैं। 36 हज़ार का किराया किसी वातानुकूलित लग्जरी बस का नहीं बल्कि मौके को मुनाफे में बदलने वाली एंबुलेंस का है।
इस एंबुलेंस से गुरुवार को एक कोरोना संक्रमित मरीज को इलाज के लिए पटना ले जाया गया था लेकिन जब पटना के एम्स में मरीज़ को जगह नहीं मिली तो उसे दूसरे अस्पताल में ले जाने के क्रम में मरीज ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया। शव को वापस बिहारशरीफ ले जाना पड़ा तो बतौर किराया एंबुलेंस चालक ने 36 हजार रुपए किराया वसूल लिया। मजबूरी का फायदा उठाना यही तक नहीं रुका। इसके बाद की कहानी भी आपको रुला देगी।
जब शव को दफनाने का समय आया तो कब्रिस्तान में कब्र खोदने वाले ने छह हजार ले लिए, जबकि सामान्य समय में कब्र खोदने के लिए सिर्फ 16 सौ रुपए लिए जाते हैं। अंतिम वक्त में यह अमानवीयता की खबर नालंदा कॉलेजिएट स्कूल के विद्वान शिक्षक व एनसीसी अफसर मोहम्मद एहतेशाम की है। सिस्टम को तमाचा मारने वाला यह सच मरहूम के स्वजनों ने बताया, जो उनके इलाज से लेकर जनाजे तक साथ थे। शोक संतप्त परिवार में पत्नी व दो बेटे हैं। बड़ा बेटा मात्र 18 साल का है।
बताया गया कि सोमवार तक मो. एहतेशाम की तबीयत ठीक थी। अचानक मंगलवार की शाम में उन्हें सांस में दिक्कत हुई तो स्थानीय डॉक्टरों के परामर्श पर घर पर ही दवाएं दी गईं। दवा के बाद में कोई सुधार नहीं हुआ तो बुधवार को आनन-फानन में पटना ले जाया गया। जहां अस्पताल में भर्ती होने के पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया। मो. एहतेशाम ने अब तक वैक्सीन नहीं ली थी।
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