IAS बनना चाहती है ये ‘नाई बिटिया’, पिता की बीमारी के कारण गाँव मे संभाल रही पापा की सैलून

Success Story Of Bindupriya: यूपीएससी की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इस परीक्षा में हर साल लाखों की तादाद में बच्चे बैठते हैं, लेकिन कुछ सैकड़ों को ही इसमें कामयाबी मिलती है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी बच्ची के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कहानी दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा है। आज भी हमारे समाज में कई ऐसे काम है जिन्हें लेकर हमारे दिमाग में पुरुष प्रधान छवि ही सामने आती है। उन कामों को लेकर हमारे दिमाग में सिर्फ यही आता है कि ये काम तो सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं, जैसे- एक नाई का काम…

पुरुषों के बाल काटने, उनकी दाढ़ी बनाने… जैसे कामों को लेकर हमारे दिमाग में हमेशा एक आदमी की ही छवि सामने आती है, लेकिन 21वीं सदी बदले भारत की एक ऐसी तस्वीर है, जहां एक गांव में एक लड़की सैलून चलाती है। वह ना सिर्फ आदमियों के बाल काटती है, बल्कि उनकी दाढ़ी सेट करने में भी माहिर है।

Success Story Of Bindupriya

कौन है ‘नई बिटिया’ बिंदु प्रिया

बदलते भारत का साथ बदलती सोच की यह तस्वीर तेलंगाना के हैदराबाद की है, जहां कोठागुडम नाम के जिले में एक मोंडीकुंता नाम का छोटा सा गांव है। इस गांव में एक सैलून है जिसकी तस्वीर पूरे भारत के सभी सैलून से अलग है, क्योंकि यहां इस सैलून को एक लड़की चलाती है, जिनका नाम बिंदुप्रिया है। उन्होंने 11 साल की उम्र में ही बाल काटना सीख लिया था, हालांकि पिता की बीमारी के बाद जब घर की जिम्मेदारी उन पर आई तो पेट की भूख उन्हें पिता के सैलून तक ले आई।

पिता की बीमारी के बाद औजार ले पहुंची सैलून

बिंदुप्रिया के पिता एक सैलून चलाते थे। वह अक्सर अपने पिता को खाना देने के लिए दुकान आती थी। इस दौरान उन्होंने अपने पिता के साथ सैलून का काम भी सीखा करती थी और धीरे-धीरे उनमें भी पिता के सारे हुनर आ गए, लेकिन वह यह बात हमेशा से जानती थी कि वह एक नई नहीं बन सकती। साल 2015 में अचानक से बिंदुप्रिया के पिता को ब्रेन स्ट्रोक आ गया। इसके बाद महज 12 साल की उम्र में उन्हें परिवार की जिम्मेदारी संभालने पड़ी।

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1 दिन में 300 कमा लेती है बिंदु प्रिया

ऐसे में जब पिता की जगह खुद सैलून संभालने की जिम्मेदारी का बीड़ा उठाया तो पिता के औजार लेकर दुकान में जा बैठी, जिसमें उनके पिता और परिवार ने भी उनका साथ दिया। बिंदु प्रिया ने अपने हुनर के दम पर ग्राहकों की शेविंग करना. उनके बाल काटना सब शुरू कर दिया। इस तरह वह हर दिन ₹300 कमा लेती थी।

हालांकि बिंदु प्रिया के लिए सैलून का काम बिल्कुल आसान नहीं रहा, क्योंकि गांव के लोगों ने उन्हें ताने मारना शुरू कर दिया, लेकिन पेट की भूख और परिवार की जरूरत ने बिंदु प्रिया को कभी टूटने नहीं दिया और उन्होंने लोगों की इस सोच का विरोध किया। कई लोग उनके सैलून के आस-पास से गुजरते हुए उन पर अभद्र कमेंट भी करते थे, लेकिन बिंदुप्रिया का विश्वास इन लोगों की वजह से बिल्कुल नहीं डगमगाए।

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IAS बनना चाहती थी बिंदुप्रिया

बिंदुप्रिया को सैलून चलाते आज 7 साल का समय हो चुका है। बीते साल लंबी बीमारी के बाद उनकी मां का भी निधन हो गया था। बिंदु प्रिया ने सैलून के काम को करते हुए ही अपनी एक बहन की शादी भी करवा दी है, जबकि दूसरी बहन पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है। बिंदु प्रिया का सपना भी अपनी जिंदगी में कुछ कर दिखाने का है। यही वजह है कि वह अपनी सैलून के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी कर रही है। उनका कहना है कि वह आगे चलकर एक आईएएस ऑफिसर बनना चाहती हैं। इसके लिए वह तैयारी भी कर रही है।

Kavita Tiwari