5G Network in India: देश के तमाम हिस्सों में 5G नेटवर्क को शुरू करने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। इस कड़ी में दूरसंचार नियामक ट्राई ने बिजली के खंभों, बस स्टॉप और ट्रैफिक सिग्नल पर 5जी सर्विस के छोटे-छोटे उपकरण लगाने की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि ट्राई की ओर से मंगलवार को जारी सिफारिश में कहा गया है कि दूरसंचार विभाग को 600 वाट से कम विकिरण क्षमता वाले लो पावर बेस्ट ट्रांस सीवर स्टेशन लगाने की मंजूरी के लिए बाध्यता से मुक्त कर दिया गया है। इसके साथ ही अब उन्हें इस तरह के छोटे-छोटे उपकरण लगाने के लिए किसी तरह की कोई मंजूरी की जरूरत नहीं है।
सुपर फास्ट होगा 5G नेटवर्क
गौरतलब है कि 5 जी के स्पेक्ट्रम में बैंड 2G, 3G और 4G नेटवर्क की तुलना अभी फिलहाल काफी कम इलाकों को कवर कर रहे हैं। यही वजह है कि 5G सेवाओं की पहुंच के दायरे को बढ़ाने और इसके सिग्नल अंतराल को दूर करने के लिए कम क्षमता वाले दूरसंचार उपकरण लगाने की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल ट्राई की ओर से इस बात का खास ख्याल रखते हुए काम किया जा रहा है। साथ ही इस पहलू को ध्यान में रखते हुए ट्राई विभाग को सुझाव भी दिया गया है कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में संशोधन कर बिजली के खंभे व स्टाफ या फिर ट्रैफिक सिग्नल जैसे ‘स्ट्रीट फर्नीचर’ को भी शामिल किया जाए। इसके लिए ट्राई ने जरूरी अधिसूचना भी जारी करने को कहा है।
इसके साथ ही यह भी बता दें कि 5G के विकिरण का कम होने से छोटे दूरसंचार उपकरण को अधिक सुरक्षा की जरूरत नहीं होगी और उन्हें लगाने में भी अधिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। इन उपकरणों को सड़क के किनारे लगे बिजली के खंभों बस स्टॉप और ट्रैफिक सिग्नल पर भी बेहद आसानी से लगाया जा सकेगा। खास बात यह है कि एसीएसजी ऑपरेटरों के लिए एक अलग लाइसेंस जारी कर ट्राई ने अंतरिक्ष संचार को जमीनी नेटवर्क से जोड़ने वाले उपग्रह पृथ्वी स्टेशन का संचालन करने वाली कंपनी के लिए एक अलग से लाइसेंस जारी करने की भी अपील की है।
लाइसेंस जारी करने के लिए दायर की अनुशंसा
इस कड़ी में एसीएसजी ऑपरेटरों के लिए अलग से लाइसेंस जारी कर ट्राई की ओर से अंतरिक्ष संचार को जमीनी नेटवर्क से जोड़ने वाले उपग्रह पृथ्वी स्टेशन का संचालन करने वाली कंपनियों के लिए एक अलग लाइसेंस जारी करने की भी अपील की गई है। वही इस मामले पर दूरसंचार नियामक विभाग को भेजी गई सिफारिशों में कहा गया है कि सेटेलाइट अर्थ स्टेशन गेटवे के लिए एक अलग लाइसेंस देने का प्रावधान किया जाए, जिसके जवाब में उनकी ओर से कहा गया कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 4 में इसकी व्यवस्था की जाए। साथ ही यह भी बताया गया कि यह यूनिवर्सल लाइसेंस का हिस्सा नहीं होगा, लेकिन लाइसेंस 20 साल के लिए वैद्य माना जाएगा।
ट्राई की ओर से की गई इस अनुशंसा में कहा गया है कि 20 साल के लिए यदि इस तरह का लाइसेंस दूरसंचार ढांचे और सेवाओं के वितरण तक को सीमित करेगा। एसीएसजी लाइसेंस के धारक आम उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की सेवाएं सीधे नहीं दे सकते, बल्कि उन्हें 10 लाख का शुल्क देना होगा। दूरसंचार विभाग सेवाओं के लिए लाइसेंस जारी करता है। हालांकि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सेवाओं के लाइसेंस को देने के लिए अधिकृत नहीं है।
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