बिहार के बगहा के पश्चिमी चंपारण जिले में इन दिनों इको फ्रेंडली फ्रिजर (Eco friendly freezer) की खासा चर्चा हो रही है। दरअसल यहां के एक हुनरबाज ने खुद न सिर्फ इको फ्रेंडली फ्रिजर को बनाया है, बल्कि वह उसे मार्केट में बेच भी रहे हैं। इनका कहना है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात (Man ki Baat) से काफी इंस्पायर्ड है। यही वजह है कि उन्होंने इस वोकल फॉर लोकल (Vocal For Local) को इजाद किया है। बता दें इको फ्रेंडली फ्रीजर बनाने की तकनीक में मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है। मिट्टी से बने इस फ्रिज की मांग अब देश के दूसरे शहरों में भी होने लगी है।
दूसरे राज्यों में बढ़ने लगी है इको फ्रेंडली फ्रीजर
देश के दूसरे राज्यों में भी बढ़ती इस इको फ्रेंडली फ्रीजर की मांग को देखते हुए प्रशासन की ओर से भी इसे हरी झंडी दिखा दी गई है। वहीं पीएम स्वरोजगार योजना के तहत उसका निर्माण करने वाले कलाकार को आईएएस दीपक मिश्रा द्वारा मदद का भरोसा भी दिलाया गया है। इस इको फ्रेंडली फ्रीजर की सबसे खास बात यह है कि इसकी कीमत भी बेहद कम है। आप महज 500 रुपये में इस देसी फ्रिज को अपने घर ले जा सकते हैं।
कितनी है इको फ्रेंडली फ्रीजर कीमत
दरअसल हम जिस इको फ्रेंडली फ्रीजर की बात कर रहे हैं, इसे बगहा के एक कलाकार ने बनाया है। इसकी कीमत उन्होंने ₹500 निर्धारित की है। महज ₹500 की रकम देकर आप इस देसी फ्रीजर को अपने घर ले जा सकते हैं। यह फ्रिज पीने के पानी को 48 घंटो तक नेचुरल ही ठंडा रखता है। देश की राजधानी दिल्ली समेत पटना में भी अब इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। मेक इन इंडिया और वोकल फॉर लोकल के बीच इसकी काफी चर्चा है। पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत से इंस्पायरर हरी पंडित की कलाकारी का नतीजा है कि उन्होंने इस देसी फ्रिज को बनाया है।
देसी फ्रीजर को लेकर प्रशासन में भी चर्चा
वही अब सामाजिक कार्यकर्ता जयेश मंगल सिंह के प्रयास से प्रशासन ने भी इस मामले पर ध्यान देना शुरू कर दिया है, जिसके बाद बगहा-1 के प्रखंड के परसा बछड़ी स्थित हरी पंडित के घर आईएएस अधिकारी पहुंचे। साथ ही उन्होंने पीएम स्वरोजगार योजना के तहत उन्हें मदद करने का भरोसा दिलाया हरि पंडित ने खुद बताया कि वैसे तो यह उनका पुश्तैनी कारोबार है, जिसे उनके दादा-परदादा ने शुरू किया था उन्होंने बस इस कारोबार में थोड़ा और बदलाव किया है।
‘मन की बात’ से मिली प्रेरणा
हरि पंडित ने बताया कि पहले मैं अपने दादा परदादा की तरह ही अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए मिट्टी के दीये, मटका, घड़ा, पत्ते की ग्लास वगैरह बनाया करता था, लेकिन इन दिनों बर्तन के बराबरी में बाजार में कुछ सालों पहले आए कागज, कूट और प्लास्टिक के बर्तनों के चलते इनकी डिमांड कम हो गई है। ऐसे में क्योंकि मेरे पास परिवार का पालन पोषण का यह एकमात्र जरिया था, इसलिए मैंने बाजार में मिट्टी के बर्तन कम होते देखने के बाद प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत मिशन के बारे में सुना। तब मैंने फैसला किया कि क्यों ना मैं मिट्टी के किसी ऐसे बर्तन का निर्माण करूं जो अपने आप में अजूबा हो। आम आदमी के लिए यह बेहद फायदेमंद भी हो और पीने के पानी को स्वच्छ और ठंडा भी रख सके। इसके बाद मैंने देसी फ्रिज का निर्माण किया।
कैसे बनाया जाता है इको फ्रेंडली फ्रिज
- एक इको फ्रेंडली फ्रिज बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी उसकी मिट्टी होती है।
- मिट्टी के इस जार को न आग में और न ही धूप में ना पकाकर सुखाया जाता है, क्योंकि यह जार साधारण मिट्टी से बनाया जाता है, लेकिन इस मिट्टी को गुंदने का तरीका अलग होता है।
- इसके निर्माण की मिट्टी को गुंदने में और भी वनस्पति का इस्तेमाल किया जाता है।
- बता दे 1 दिन में सिर्फ 1 ही देसी फ्रिज बनकर तैयार हो पाता है। दरअसल इसे तैयार करने के बाद 15 दिन का समय इसे सुखाने में लगता है, क्योंकि इसे छाए में सुखाया जाता है।
- इसे ना आग में पकाया जाता है और ना ही धूप में सुखाया जाता है, काफी सावधानी और बाकी से पूरी देखरेख में इसे छाया में सुखाया जाता है।
- इसके बाद इसके रंग रोगन के साथ इसका ढक्कन तैयार किया जाता है और पानी निकालने के लिए नीचे एक टैप भी लगाया जाता है, जिससे कि जार को बिना हिलाए डुलाए इस्तेमाल किया जा सके।
एक इको फ्रैंडली फ्रिज को बनाने में कितना खर्च आता है
हरि सिंह के मुताबिक एक मिट्टी के फ्रिजर को बनाने में ₹350 की लागत आती है, जिसके बाद वह उसे मार्केट में ₹500 में बेच देते हैं। ऐसे में वह 100 पर ₹150 की कमाई करते हैं। फिलहाल उनके इस जार की मांग राजधानी दिल्ली से लेकर बिहार की राजधानी पटना तक काफी ज्यादा हो रही है।
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