KBC Winner बनें बिहार के सुशील कुमार फिर खबरों में छाये, जानें क्या है वजह?

केबीसी के सीजन 5 के विनर बने सुशील कुमार (KBC Winner Sushil Kumar) का नाम एक बार फिर से सुर्खियां बटोर रहा है। सुशील कुमार बिहार (Bihar) के मोतिहारी (Motihari) के रहने वाले हैं। वही उनके एक बार फिर से सुर्खियों में छाने को लेकर तरह तरह की खबरें भी सामने आ रही है। ऐसे में हम आपको बता दें कि केबीसी विनर सुशील (KBC Winner Sushil Kumar New Work) इस बार जिस वजह से सुर्खियों में है, वह उनका पर्यावरण प्रेम है। दरअसल सुशील कुमार इन दिनों विलुप्त होने की कगार पर पहुंच रहे घरेलू पक्षी गौरैया के संरक्षण पर काम कर रहे हैं।

KBC Winner Sushil Kumar

फिर सुर्खियों में छाये केबीसी विनर सुशील कुमार

खास बात यह है कि सुशील कुमार ने राज्य सरकार से गौरैया को राजकीय पक्षी घोषित कर संरक्षण की दिशा में पहल करने की अपील भी की है। सुशील कुमार नगर से लेकर गांव तक जहां भी गौरैया आती थी, उन्होंने वहां घोसले लगा दिए हैं। वहीं उनके बीते साल के प्रयासों के चलते चंपा फूल के खुशबू बिखरे इलाकों के कारण बिहार का उत्तरी भाग चंपारण के नाम से प्रसिद्ध हो गया है, लेकिन ऐसे में कालांतर में चंपारण के चंपा जंगल से विलुप्त हो रही गौरैया के संरक्षण की दिशा में वह लगातार काम कर रहे हैं।

KBC Winner Sushil Kumar

गौरैया के संरक्षण में जुटे सुशील

याद दिला दे सुशील कुमार ने बीते साल भी चंपा के पौधों को लगाने के लिए एक अभियान चलाया था। इस दौरान पूर्वी चंपारण मे लाखों की संख्या में पौधे लगाए गए थे। वही अब उनके इस अभियान के साथ उन्होंने एक नया अभियान शुरू किया है। वह राजकीय पक्षी गौरैया के संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता फैला रहे हैं। सुशील कुमार हर दिन सुबह अपनी स्कूटी से किसी ना किसी इलाके में निकल जाते हैं और उनकी इस स्कूटी पर उन्होंने एक झोला लटकाया होता है, जिसमें गौरैया का घोंसला, कांटा और हथोड़ा रहता है।

KBC Winner Sushil Kumar

सुशील कुमार जगह-जगह पर इन घोसलों लगाते हैं, जिनमें गौराया आती है और रहती है। सुशील कुमार को गौरैया के यह घोंसला लगाने की प्रेरणा फेसबुक के जरिए मिली थी। इसके बाद उन्होंने इस अभियान की शुरुआत की। शुरुआत में थोड़ी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन अब मोतिहारी नगर और ग्रामीण इलाकों में अपना काम आसानी से करते हैं। इसमें लोग भी उनका साथ दे रहे हैं। लोग खुद सुशील कुमार के इस अभियान से आगे बढ़कर जुड़ रहे हैं।

Kavita Tiwari