बिहार (Bihar) के खगड़िया की बेटी मीनाक्षी (Hockey player Meenakshi Khagaria) का नाम इन दिनों हर जगह चर्चाओं में है। दरअसल खगड़िया की बेटी मीनाक्षी अपने जबरदस्त खेल (Hockey player Meenakshi Match) से इतिहास रच रही है। आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में आयोजित जूनियर महिला हॉकी राष्ट्रीय प्रतियोगिता में बिहार हॉकी टीम की उपकप्तान के तौर पर मैदान में उतरी खगड़िया की मीनाक्षी ने जबरदस्त खेल का प्रदर्शन किया और टीम को जबरदस्त जीत दिलाई।
आर्थिक तौर पर कमजोर है परिवार
खगड़िया की बेटी मीनाक्षी एक बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वह मानसी प्रखंड के अंतर्गत पूर्वी ठाडा गांव की रहने वाली है। उनके पिता संजय ठाकुर मानसी जंक्शन के पास नाई का काम करते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है और घर चलाने के लिए उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं है, कि वह एक सैलून खोल सके। इसलिए वह वहीं बैठ कर लोगों की दाढ़ी बनाते हैं।
मीनाक्षी की मां सरिता देवी एक ग्रहणी है।। बेहद मुश्किल से परिवार का गुजर-बसर होता है पांच भाई-बहनों में मीनाक्षी सबसे बड़ी है, लेकिन वह हॉकी की बेजोड़ खिलाड़ी है। उनके खेल को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि उनकी गोलकीपिंग में बॉल पास करना बड़ा मुश्किल काम है। मीनाक्षी जीडी कॉलेज बेगूसराय में बीए पार्ट-2 की छात्रा है। पढ़ाई के साथ-साथ खेल में भी अपने नाम का परचम लहरा रही है।
शानदार है मीनाक्षी का हॉकी खेल सफऱ
मीनाक्षी ने साल 2018 में आर्य कन्या उच्च विद्यालय में पढ़ने के दौरान हॉकी खेलना शुरू किया था। पहली बार मुजफ्फरपुर में आयोजित राज्य स्तरीय स्कूली हॉकी प्रतियोगिता में खगड़िया की ओर से उन्होंने गोलकीपर के तौर पर मैदान संभाला था। इसके बाद उन्होंने अपने हॉकी करियर में पीछे मुड़कर नहीं देखा। मीनाक्षी हॉकी के खेल में हरियाणा के हिसार में आयोजित आठवीं हॉकी इंडिया सब जूनियर महिला हॉकी प्रतियोगिता में बिहार टीम की तरफ से गोलकीपर के तौर पर भाग लिया था।
इस प्रतियोगिता में उन्होंने बिहार टीम को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद साल 2019 में केरल में आयोजित जूनियर महिला हॉकी प्रतियोगिता में मीनाक्षी का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा। वहीं साल 2021 में झारखंड के सिमडेगा में आयोजित 11वीं जूनियर महिला हॉकी नेशनल चैंपियनशिप में बिहार की टीम से मीनाक्षी को खेलने का मौका मि।ला इस प्रतियोगिता में बिहार की टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थी।
हॉकी में कामयाबी है सपना- मीनाक्षी
अपनी इस कामयाबी के सफर को लेकर मीनाक्षी का कहना है कि गोलकीपर के रूप में खेलना उनके लिए चुनौतीपूर्ण था। बड़े स्टार के मैच में तो यह चुनौती और भी ज्यादा बढ़ जाती है। मैदान में 10 खिलाड़ियों और एक गोलकीपर के बीच का मैच होता है, लेकिन मैं हर बेहतर प्रयास करती हूं कि अपना बेस्ट परफॉर्मेंस दे सकूं। मेरे सफर में मेरे माता-पिता और कोच सभी का पूरा सपोर्ट है।
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