प्राइवेट अस्पतालों (Private Hospital) के लंबे बिल और महंगी दवाइयों के चलते लोगों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे अस्पतालों की मनमानी पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India) यानी सीसीआई गाज गिरने वाली है। सीसीआई (CJI) ने अस्पतालों द्वारा महंगी दवाइयों, मेडिकल उपकरणों को बनाने वाली कंपनियों के साथ मिलीभगत करके दवाइयों पर ज्यादा दाम वसूलने के मामले में जवाब मांगा है, जिसके बाद देश के 3 बड़े अस्पतालों की परेशानी बढ़ने वाली है।
बढ़ सकती है प्राइवेट अस्पतालों की मुश्किलें
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग यानी सीसीआई द्वारा फॉर्टिस हेल्थ केयर (Fortis Healthcare), मैक्स हेल्थ केयर (Max Healthcare) और अपोलो हॉस्पिटल (Apollo Hospital) को इस मामले में नोटिस भेजा गया है। इस नोटिस के जरिए उनके द्वारा दवाइयों और मेडिकल डिवाइस की कीमत तय करने का तरीका पूछा गया है। गौरतलब है कि मैक्स हेल्थ केयर का जांच के विषय में कहना है कि फिलहाल जांच जारी है और हॉस्पिटल सीसीआई के अधिकारियों का इस मामले में पूरा सहयोग करेगा और उनके द्वारा किए गए सवालों का जवाब भी जल्द देगा।
मालूम हो कि इस मामले में moneycontrol.com द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक यह कहा गया है कि अस्पताल द्वारा दवाइयों की ऊंची कीमतों के खिलाफ सीसीआई की अपनी तरह की यह पहली जांच है। जानकारों का कहना है कि सीसीआई की स्क्रूटनी से दवाइयों और हेल्थ केयर इक्विपमेंट की कीमत पर लगाम लगाने की कड़ी में यह पहला कदम है। इसके जरिए अस्पतालों द्वारा मनमानी वसूली पर रोक लगेगी।
शिकायत के बाद शुरू हुई कार्रवाई
इस मामले में एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा सीबीआई को शिकायत दर्ज कराई गई थी, कि अस्पताल दवा कंपनियों के साथ मिलकर दबाव और मेडिकल उपकरणों पर मनमानी कीमत की वसूली कर रहा है। विवेक शर्मा नाम के सामाजिक कार्यकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि मैक्स हेल्थकेयर अपनी इमेज दुरुपयोग करते हुए सिरिंज मेकर बेक्टन डिकिंसन (Becton Dickinson India) के साथ मिलकर मरीजों के साथ धोखाधड़ी कर ज्यादा कीमत वसूल रहा है। नई दिल्ली मैक्स सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में उनसे एक सीरीज के लिए 19.50 रुपए लिए गए, जबकि यही सिरिंज दिल्ली के अशोक विहार मेडिकल स्टोर पर छूट के साथ ₹10 में मिलता है।
इन तीन अस्पतालों पर गिरी गाज
मालूम हो कि सीसीआई की जांच रिपोर्ट में यह सामने आया है कि वह अपने मरीजों से इन हाउस फार्मेसी से दवाइयां और मेडिकल उपकरण खरीदने का दबाव बनाता है। अस्पताल इन पर 527 फ़ीसदी प्रॉफिट मार्जिन भी रखता है। हालांकि सीसीआई की जांच में मैक्स और बटन के बीच मिलीभगत का कोई भी सबूत अभी तक नहीं मिला है। वह इस मामले में फॉर्टिस हेल्थ केयर, मैक्स हेल्थ केयर और अपोलो हॉस्पिटल को नोटिस भेज जवाबदेही और फार्मेसी वंडर्स सहित कंपनियों की डिटेल भी मांगी गई है।
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