बिहार (Bihar) के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। भारत की विरासत और संस्कृति से जोड़ने वाला देश का पहला रामायण विश्वविद्यालय (Ramayan University) वैशाली में बनाया जाएगा। बता दे पटना के सुप्रसिद्ध महावीर मंदिर Mahavir Mandir) की ओर से इस विश्वविद्यालय का निर्माण कराया जा रहा है। रामायण विश्वविद्यालय में संस्कृत और व्याकरण के साथ-साथ दूसरे विषयों के बारे में भी शिक्षा दी जाएगी। रामायण विश्वविद्यालय वैशाली (Ramayan University In Vaishali) जिले के इस्माइलपुर में बनाया जाएगा। इसके लिए करीबन 12 एकड़ जमीन को भी चिन्हित कर लिया गया है।
यहां बनेगा देश का पहला रामायण विश्वविद्यालय
वैशाली जिले के इस्माइलपुर में बन रहे इस रामायण विश्वविद्यालय में मुख्य भवन के अलावा शैक्षणिक भवन और कई आधारभूत सुविधाओं का निर्माण करते हुए इसे बेहद अनोखे ढंग से बनाया जाएगा। इसके लिए सभी तरह के खर्च का भार महावीर मंदिर न्यास समिति की ओर से किया जाएगा। महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने खुद इस बात की जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया है कि इस विश्वविद्यालय में 2024 से पढ़ाई शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
कई भाषाओं में कराया जायेगा अध्ययन
यह महावीर मंदिर द्वारा स्थापित एकमात्र विश्वविद्यालय होगा, जहां वाल्मीकि रामायण को केंद्र में रखकर गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस और भारतीय भाषाओं के साथ-साथ दक्षिण पूर्वी एशिया में बोली जाने वाली सभी तरह की भाषाओं में यहां रामायण पर अध्ययन कराया जाएगा। इसके साथ ही यहां पर इन सभी सांस्कृतिक एवं धार्मिक विषयों पर शोध कार्य भी किया जाएगा।
बता दे महावीर मंदिर न्यास समिति ने बिहार में निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2013 के अंतर्गत यहां विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव पहले शिक्षा विभाग को भेजा है। मंदिर की ओर से इसके लिए 10 लाख रूपये का डिमांड ड्राफ्ट ही शिक्षा विभाग को इसके साथ दिया गया है। मालूम हो कि रामायण विश्वविद्यालय में संस्कृत और व्याकरण के साथ-साथ कई विषयों पर शिक्षा दी जाएगी, लेकिन यहां सबसे ज्यादा बल संस्कृत और व्याकरण पर रखा जाएगा। महर्षि पाणिनि अष्टाध्याई पतंजलि कृत महाभाष्य और कशिका की पढ़ाई संस्कृत एवं व्याकरण के साथ-साथ यहां पर होगी।
साथ ही कराये जायेंगे कई अन्य कोर्स
बता दे रामायण विश्वविद्यालय में डिग्री कोर्स में ग्रेजुएशन यानी स्नातक स्तर पर शास्त्री की डिग्री दी जाएगी। इसके साथ ही स्नातकोत्तर के लिए आचार्य पीएचडी के तौर पर विधि वारिधि और डी-लिट की उपाधि के तौर पर विद्यावाचस्पति उपाधि दी जाएगी। इसके साथ ही इस रामायण विश्वविद्यालय में डिप्लोमा कोर्स भी होंगे, जिस में नामांकन लेने वाले विद्यार्थियों को रामायण शिरोमणि का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसके साथ ही यहां पर एक खास कोर्स भी है, जो 6 महीने के सर्टिफिकेट के साथ कराया जाएगा और इस कोर्स को करने वाले छात्रों को रामायण पंडित की उपाधि दी जाएगी।
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