बिहार: आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका के चयन के तरीका में बड़ा बदलाव! धांधली पर लगेगा लगाम

बिहार में आंगनबाड़ी सेविका- सहायिका को अब इंटरव्यू और तैयार किए गए मेधा सूची के आधार पर चतनित किया जाएगा। आमसभा के जरिए अब चयन कार्य समाप्त हो जाएगा। अगले कुछ दिनों में होनेवाले पांच हजार आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका के चयन में यही नियम लागू होंगे। नियुक्ति के पूर्व प्रमाणपत्रों की जांच को अनिवार्य कर दिया गया है। बता दें कि यह फैसला आमसभा की प्रक्रिया में लगातार आ रही धांधली की शिकायतें के बाद समाज कल्याण विभाग की तरफ से लिया गया है।

अभी चयन में एलएस का महत्वपूर्ण रोल :

बता दे कि अब तक नया नियम लागू करने के पूर्व सेविका-सहायिका के चयन में सीडीपीओ की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती थी, लेकिन जब सीडीपीओ पर चयन में धांधली के आरोप सामने आए, तो इसकी जिम्मेदारी लेडिज सुपरवाइजर (एलएस) को दे दी गयी थी। लेकिन विभाग का कहना है कि इनकी निगरानी संतोषजनक नहीं है। विभाग का मानना है कि एलएस के कामकाज की निगरानी नहीं की जाती है। विभाग का कहना है कि अधिकारियों के साथ बैठक भी नहीं होती है और उनका कार्य भी संदेह के घेरे में है, अतः इनके कामकाज की निगरानी का भी एक तरीका बनाने पर विभाग की तरफ से जोर दिया गया।

आमसभा की भूमिका के कारण हो रही थी धांधली

समीक्षा में विभागीय मंत्री मदन सहनी के मुताबिक, आंगनवाड़ी सेविका और सहायिका के चयन में सभी जगहों पर धांधली की जा रही है। आमसभा में होता यह है कि सभी को अपने लोगों का चयन कराना होता है। इस वजह से मेरिट लिस्ट में सही आवेदक नहीं आते हैं। अतः आवश्यक है कि आमसभा की भूमिका को समाप्त करके अंक के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाए और इंटरव्यू के बाद चयन किए जाए।

लगभग पांच हजार सेविका-सहायिका की होनी है नियुक्ति

मालूम हो कि राज्यभर में एक लाख 14 हजार आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं, लेकिन ये पूरी तरह से काम नहीं कर रहे हैं। विभाग से यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि अभी सभी सेंटरों को नियमित रूप से चलाने के लिए लगभग पांच हजार सेविका-सहायिका की बहाली किए जाने की आवश्यकता है, लेकिन आमसभा व विभाग की स्थिलता के कारण चयन प्रक्रिया बहुत धीमी है।

Manish Kumar