प्लेटफॉर्म पर खड़ी ट्रेन की इंजन कभी नहीं होता बंद! जानिए क्या है इसके पीछे की वजह

ट्रेन पकड़ने के लिए जब आप कभी रेलवे स्टेशन जाते होंगे तो आपने अक्सर देखा होगा कि किसी पटरी पर एक अकेला इंजन खड़ा है, जिसका उस वक्त कोई खास काम नहीं होता, फिर भी वो स्टार्ट रहता है। आपने यह भी गौर किया होगा कि जब आपकी ट्रेन स्टेशन पर आती है और उसे चलने में कुछ शेष रहता है तब भी उसका इंजन स्टेशन पर स्टार्ट ही खड़ा रहता है। लेकिन क्या आपको पता है कि ट्रेनों के डीजल इंजन को कभी ऑफ क्यों नहीं किया जाता?

यहाँ हम आपको बता दें कि रुके हुए डीजल इंजन को ऑन रखना लोको पायलेट यानी ट्रेन के ड्राइवर की मजबूरी होती है। दरअसल, डीजल इंजन की तकनीक इतनी जटिल है कि इसे स्टेशन पर रोके जाने के बाद भी ऑफ करना आसान नहीं होता है। यह इसलिए क्यूँकि ट्रेन को रोके जाने पर ट्रेन का इंजन अपना ब्रेक प्रेशर (Break Pressure of Engines) खो देता है।

आपने ट्रेन रुकने पर एक सीटी जैसी आवाज निकलते अक्सर सुना होगा। ये आवाज इस बात का संकेत होती है कि ब्रेक प्रेशर को रिलीज किया जा चुका है। इस प्रेशर को बनने में कुछ वक्त लगता है. अगर इंजन को पूरी तरह से हर स्टेशन पर ऑफ कर दिया जाए तो उसे उस ब्रेक प्रेशर को बनाने में अतिरिक्त समय लग जाएगा । इसके साथ ही ट्रेनों को रोकने के लिए एक तय प्रेशर की जरूरत होती है, इंजन बंद कर देने से ये प्रेशर कम हो जाएगा जिससे यात्रियों की जान को भी खतरा होने की सम्भावना है।

बेहद जटिल होता है ट्रेन का सिस्टम

दूसरा कारण यह भी है कि ट्रेनों के इंजन को शुरू करने में समय लगता है, क्योंकि डीजल इंजन एक बड़ी यूनिट होता है जिसमें 16 सिलेंडर लगे होते हैं। डीजल इंजन कंप्रेशन इग्निशन पर काम करते हैं, उनमें स्पार्क प्लग यानी बाहरी इग्निशन एजेंट नहीं होता है जैसा कि पेट्रोल इंजनों में पाया जाता है। इसलिए डीजल इंजनों को स्टार्ट करने पर ऑपटिमल वर्किंग टेम्प्रेचर की जरूरत पड़ती है जो एयर फ्यूल कंप्रेशन से बनता है।

धीरे-धीरे खत्म हो रहे डीजल इंजन

रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीजल इंजन को स्टार्ट करने में काफी इंधन की खपत होती है। जब ये इंजन स्टेशनों पर खाली खड़े रहते हैं तब भी इंधन का इस्तेमाल होता रहता है क्योंकि उस समय इंजन की बैटरी इंधन की मदद से चार्ज होती है। बता दें कि अब कई इंजनों में ऑक्जिलरी पावर यूनिट का इस्तेमाल किया जाता है जो इंधन की खपत को कम करता है। इस यूनिट के कारण इंजन की बैटरी को चार्ज किया जाता है। इंजन की जरुरत होने से डीजल इंजनों को खत्म किया जा रहा है। बता दे कि काफी समय पूर्व कोयले से चलने वाले इंजन भी थे मगर कोयले पर पूरी तरह निर्भरता की वजह से उसे धीरे-धीरे खत्म कर दिया गया।

Manish Kumar