बिहार: अगर चाहते हैं पैक्‍स मे अपना धान बेचना, तो जरूर जान लें ये बेहद जरुरी बातें

केंद्र सरकार द्वारा किसानों से धान खरीदने के लिए निर्देश जारी कर दिया गया। इस निर्देश के मुताबिक किसानों से धान की खरीद एक नवंबर से 31 जनवरी तक की जाएगी। ऐसे में फिर से किसानों की परेशानी बढ़ेगी। धान खरीद की तिथि तय कर दी गई है लेकिन किसान परेशान है कि उनका धान जब तक तैयार होगा, खरीद बंद हो चुकी होगी। ऐसे में किसान के लिए बिचौलियों के फंदे में फंसना मजबूरी होगी।

मालूम हो कि सरकार के द्वारा 17 फीसद नमी तक ही धान की खरीद की जाती है। इसलिए लगभग प्रत्येक वर्ष जनवरी के बाद ही खरीद अधिक होती है। उस समय तक धान से नमी कम हो जाती है। इस बार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रोपनी भी देर से हुई। अतः ऐसे में किसानों के लिए समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचना काफी मुश्किल होगा। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण एवं सहकारिता विभाग बिचौलियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। मिलीभगत करने वाले पैक्सों और व्यापार मंडलों पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और उनके विरुद्ध कारवाई की जाएगी।

मार्च तक बढ़ेगी धान खरीद की अवधि

नालंदा किसान सहकारी समिति के देव रतन शर्मा का कहते है कि बिचौलिये से किसान धान की बिक्री उसी स्थिति में करेंगे जब धान की खरीद अवधि का विस्तार करके मार्च तक किया जाएगा। बिचौलिये अभी से सक्रिय हो गए हैं। छपरा के किसान रामबाबू चौधरी कहते है कि व्यापारी और राइस मिल मालिक बिचौलिया को गांव से धान खरीद के लिए पूंजी तक मुहैया कराते हैं। बिचौलिये किसानों से खरीदे गए धान को नेपाल, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में आपूर्ति करते हैं।

Also Read:  Bihar Weather: गर्मी से मिलेगी राहत, इन 15 जिलों में आंधी पानी का अलर्ट जारी, जाने अपने जिले का हाल

धान खरीद की तैयारी

कृषि विभाग के पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से धान खरीद के लिए अभियान के तहत किसान सलाहकार करेंगे किसानों से संपर्क करेंगे और धान बेचने वाले किसानों की वास्तविकता का पता लगाया जाएगा। सौ क्विंटल सेे ज्यादा धान बेचने वालों की सुची तैयार की जाएगी।

whatsapp channel

google news

 

ये है वास्तविक स्थिति

गौरतलब है कि प्रदेश के बड़े हिस्से में धान की कटाई दिसंबर महीने से शुरू होती है। जनवरी तक धान में नमी ज्यादा रहती है। इसके बाद खरीद ज्यादा होती है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रोपनी देर से हुई है, इसलिए समर्थन मूल्य पर धान बेच सकना किसानों के लिए काफी मुश्किल होगा। पिछले साल जितनी खरीद हुई थी उसका दो तिहाई से ज्यादा जनवरी के बाद ही क्रय केंद्रों पर पहुंचा था। पिछले साल धान खरीद का लक्ष्य 45 लाख मीट्रिक टन रखा गया था, लेकिन जनवरी तक लगभग नौ लाख मीट्रिक टन ही खरीद हो पाई थी।

Share on