पर्यटन के दृष्टिकोण से बिहार को एक नया सपोर्ट मिल गया है, लोग अब बांका के मंडार पर्वत की खूबसूरती का नजारा पहले से बेहतर तरीके से देख सकेंगे क्योंकि आज यानी कि मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बांका जिले के बौंसी प्रखंड में स्थित मंदार पर्वत पर नवनिर्मित रोपवे का उद्घाटन किया है। अब इस इस रोपवे के द्वारा लोग पर्वत पर जाकर अच्छे से मंडार पर्वत का पूरा लुफ्त उठा सकेंगे। आज उद्घाटन के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने ओढ़नी जलाशय का भी भ्रमण कर उसका निरीक्षण किया तथा उस जलाशय में मोटर बोटिंग की किए।
रोपवे से सीएम गए पर्वत की चोटी पर
प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बांका जिले के मंदार पर्वत पर नवनिर्मित रोपवे का उद्घाटन कर इसके सवारी भी की है। इस दौरान रोपवे के जरिए सीएम नीतीश कुमार पर्वत के शिखर पर स्थित मंदिर पर पहुंचे। अब पर्यटक मंदार पर्वत के शिखर पर आसानी से पहुंच कर इस ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व वाले मौजूद मंदिर में पूजा अर्चना कर सकेंगे। नीतीश कुमार रोपवे के द्वारा मंडार पर्वत के शीर्ष पर पहुंच कर जैन मंदिर में भगवान महावीर की पूजा अर्चना भी किए। उन्होंने पूजा अर्चना कर बिहार वासियों के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना किए। इसके बाद मुख्यमंत्री ने मंदार पर्वत के आसपास बने इलाकों के बारे में भी अधिकारियों से जानकारी हासिल किए इन सब के बाद मुख्यमंत्री जी मंदार पर्वत पर स्थित सीता कुंड का भी निरीक्षण किए।
इतना ही नहीं बांका दौरे के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ओढ़नी जलाशय का भी भ्रमण किए। उन्होंने ओढ़नी जलाशय में वोटिंग का भी मजा लिया, यह ओढ़नी जलाशय बांका जिला से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वही इस दौरान बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने खुद वाटर स्कूटर चला कर वोटिंग का लुफ्त उठाया। इसके बाद उन्होंने कहा कि बिहार के बीचो बीच मे मौजूद ओढ़नी की खूबसूरती अभूतपूर्व है।
अब आइए जानते हैं मंदार पर्वत पर स्थित पौराणिक मंदिर के बारे में:-
ऐतिहासिक पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मंडार पर्वत में 88 कुंडों का समागन है, इसमें से कई कुंड आज भी दर्शनीय हैं, इन सब में से सबसे बड़ा कुंड पापहरनी कुंड है। मकर संक्रांति और असार शुक्ल की द्वितीया पर यहां दूर-दूर से लोग स्नान करने आते हैं। इस कुंड को क्षीरसागर का प्रतीक माना जाता है। इसके बीच में शेशषय्या विष्णु का लक्ष्मी नारायण मंदिर भी बनाया गया है जो कि इसको काफी आकर्षक बनाता है।
इसके अलावा भांख कुंड भी एक महत्वपूर्ण कुंड है जिसके बारे में ऐसी मान्यता है कि इसके मध्य में विष्णु का पांचजन्य भांख रखा गया है, इसी भांख से शिव जी ने सागर मंथन के दौरान निकले विष का पान किया था जिस वजह से भांख नीले रंग का हो गया है। इसके अलावा यहां एक सीताकुंड भी आकर्षण का केंद्र है। जिसके बारे में ऐसी मान्यता प्रचलित है कि वनवास अवधि में माँ सीता ने सूर्य की उपासना में यहां छठ व्रत किए थे। वही पर्वत के मध्य में एक गुफा में विष्णु भगवान के नरसिंह रूप की मूर्ति है जो कि नरसी गुफा के नाम से जाना जाता है।
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