इस साल के अंत तक बिहार मे चार नई नेशनल हाइवे (एनएच) बनकर पूरी तरह तैयार हो जाएंगे। दरअसल इसका निर्माण कार्य पहले ही पूरा हो जाना था लेकिन जमीन अधिग्रहण मे आ रही समस्या के चलते निर्माण कार्य मे रुकावट आई, जिसमें फारबिसगंज-जोगबनी फोरलेन, किशनगंज का एलिवेटेड रोड, मुंगेर रेल-सह-सड़क पुल का टू लेन एप्रोच रोड और गोपालगंज-छपरा टू लेन सड़क शामिल हैं।
नया सिक्स लेन कोइलवर पुल निर्माण का कार्य लगभग पूरा हो चुक है। इसमें से तीन लेन पर आवागमन भी शुरू किया जा चुका है, जबकि अन्य तीन लेन पर अभी आवागमन शुरु नहीं हुआ है बल्कि बरसात के खत्म होने के बाद शुरू किए जाने के आसार है। बता दे कि इन सड़कों पर आवागमन शुरू होने से राज्य भर के लोगो को काफी सुविधा होने वाली है, इस पथ से राज्य के किसी भी हिस्से से पांच घंटे में राजधानी पटना जाया जा सकेगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संकल्प साकार हो जाएगा जो उन्होंने जनता से वादा किया था। यहाँ हम आपको उन चार नेशनल हाई वे के बारे मे बताने जा रहे है, जिसके निर्माण मे भूमि अधिग्रहण के चलते रुकावट आई।
फारबिसगंज-जोगबनी फोरलेन:
फारबिसगंज-जोगबनी फोरलेन (एनएच-57ए ) को 9.25 किलोमीटर लंबा बनाया जाना है, अप्रैल 2016 मे 247 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था, इसे 2018 मे बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन अब इसके निर्माण में करीब साढ़े तीन साल देर होने की संभावना है।
किशनगंज का एलिवेटेड रोड:
किशनगंज का एलिवेटेड रोड (एनएच-31) को 3.18 किमी के दायरे मे बनाया जा रहा है। जून 2018 मे 129 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। जून2020 तक इसका निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। ऐसे में करीब डेढ़ साल के विलम्ब से इसका निर्माण कार्य पूरा होने की सम्भावना है।
मुंगेर रेल-सह-सड़क पुल का एप्रोच:
मुंगेर रेल-सह-सड़क पुल का टू लेन एप्रोच रोड (एनएच-333बी) करीब 14.5 किमी लंबाई में बनाया जा रहा है। 231 करोड़ रुपये की लागत से से दिसंबर, 2018 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था, मई, 2021 इस निर्माण कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन, जमीन अधिग्रहण मे आ रही दिक्कतों के चलते निर्माण कार्य मे विलम्ब हुआ।
गोपालगंज-छपरा टू लेन:
गोपालगंज-छपरा टू लेन रोड (एनएच-85) का निर्माण 94.2 किमी की लंबाई मेें किया जा रहा है। 644 करोड़ रुपये की लागत से दिसंबर, 2015 से इसका निर्माण कार्य आरम्भ किया गया था। दिसंबर, 2017 तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाना था लेकिन इसमें करीब चार साल का विलंब हुआ है।
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