केंद्र सरकार की तरफ से लोकसभा में ओबीसी, अन्य पिछड़ा से संबंधित 127वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इस संशोधन बिल के तहत राज्यों को सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों को अपनी राज्य सूची अथवा संघ-राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने का अधिकार दिया गया है। इस विधेयक के बाद बिहार मे चार जातियों को इसका लाभ मिल सकता है। बिहार मे चार जातियों गिरि, जागा, मल्लिक व सूर्यापुरी को इस विधेयक के बाद लाभ मिलने की उम्मीद है।
बता दे कि अभी तक राज्य मे गिरि व जागा जाति पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आते है लेकिन मल्लिक व सूर्यापुरी जाति को अब तक इस वर्ग में शामिल नहीं किया गया है। मल्लिक जाति को पूर्व मे पिछड़ा वर्ग की सूची मे स्थान दिया गया था लेकिन फिर उन्हें सूची से हटा दिया गया। अब कयास लगाए जा रहे कि इन जातियों को अति पिछड़ा वर्ग की सूची मे शामिल किया जा सकता है।केंद्र सरकार द्वारा जो नयी व्यवस्था लाई गई है, उसके बाद इन जातियों को अति पिछड़ा वर्ग की सूची मे जगह दे पाना आसान हो जाएगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय अग्रवाल का इस विधेयक के बारे मे कहना है अब राज्यों को ओबीसी का वर्गीकरण अपने हिसाब से करना आसान होगा।
उन्होने यह भी कहा कि आज भी कई जातिया ऐसी है जो विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कैटेगरी में आती हैं। कोर्ट द्वारा पूर्व मे यह भी फैसला दिया गया था कि ओबीसी आयोग द्वारा ही पिछड़ी जातियों का फैसला किया जाएगा। लेकिन इसमें समस्या यह थी कि इसमें एक लंबी प्रक्रिया होती थी। केंद्र सरकार ने इसे सरल बनाने के लिए यह विधेयक लाया है। बिहार में अभी 113 जातियां ओबीसी की सूची में शामिल है। जिसमें 113 जातियां अति पिछड़ा वर्ग व 31 जातियां पिछड़ा वर्ग मे शामिल है।केंद्र की इस नयी पहल से पहले राज्य सरकारें के पास नयी जातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का अधिकार था, लेकिन यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद राज्यों से ले लिया गया था।
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