यह मामला भागलपुर के सुल्तानगंज का है, जहां डेढ़ माह पूर्व ही एक लड़की की हिन्दू रीति रिवाज से धूमधाम से शादी की गई। लेकिन नई नवेली दुल्हन ने अपनी पढ़ाई और कैरियर के लिए यह शादी तोड़ दी। ग्राम कचहरी ने भी लड़की के पक्ष मे फैसला सुनाया है और अब चारो ओर इस फैसले की चर्चा हो रही है।
गनगनियां ग्राम कचहरी का आयोजन फतेहपुर में किया गया, वहाँ लड़की नेहा के कैरियर और पढ़ाई को लेकर ग्राम कचहरी ने जो फैसला सुनाया उसे सुन सभी हैरान रह गये, क्यूँकि यह एक ऐतिहासिक फैसला था। लड़की नेहा पढ़-लिख कर अपना कैरियर बनाना चाहती है, अपने सपने में रंग भरना चाहती है। लेकिन शादी के बाद उसे चार दीवारी के अंदर एक तरह से बंद कर दिया गया और ससुराल मे वह अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पा रही थी।
पूरा माजरा सुनने के बाद सरपंच ने फैसला सुनाया कि दोनों पक्ष अब अलग-अलग अपनी रजामंदी से रहेंगे, दोनों के बीच कोई वैवाहिक संबंध नहीं रहेगा। लड़की को आगे पढ़ना है, कैरियर बनाना है। उसकी पिता ने उसकी शादी करा दी, लेकिन ससुराल वाले उसे पढ़ाई करने से रोकते हैं। सरपन्च के फैसले के बाद नेहा काफी खुश दिखी और उसने कहा कि अब उसे पढ़ने का मौका मिलेगा।नेहा ने बताया कि वह आइटीआइ करना चाहती है ।
नेहा चाहती थी पढ़ना
जानकारी के मुताबिक घोरघट निवासी सीताराम पंडित का पुत्र सुनील की शादी कमरगंज पंचायत के जहांगीरा निवासी गुरुदेव पंडित की पुत्री नेहा कुमारी के साथ शादी हुई थी। लेकिन शादी के महज डेढ़ माह बाद ही एक दिन नेहा ससुराल से गायब हो गयी, जिसके बाद उसके पति सुनील ने उसकी काफी खोजबीन की। पर जब वह नहीं मिली तो लड़की के पिता ने सुलतानगंज थाना में बेटी के अपहरण होने का मामला दर्ज कराया। जब इसकी जानकारी नेहा को हुई तो वह अपने घर पहुंच गयी। नेहा ने घरवालों को बताया कि उसका अपहरण नहीं हुआ था, बल्कि वह अपनी इच्छा से पढ़ने के लिए पटना गयी थी। नेहा ने आगे बताया कि ससुराल वाले उसे पढ़ाई करने नहीं दे रहे थे। और आगे पढ़ाई करने से भी मना करते हैं. इसलिए उसे यह कदम उठाना पड़ा।
नेहा ने ग्राम कचहरी मे भी अपनी बात सामने रखी। उसने कहा कि सुनील से उसकी शादी जबरन करायी गयी है, वह सुनील को अपना पति नही मानती । उसने यह भी बताया कि शादी के बाद ससुराल गयी तो पति प्रताड़ित करने लगा और वह कैरियर को लेकर चिंतित रहने लगी। इसलिए उसने मौका मिलते ही ससुराल से भागने का निर्णय किया। वह भागकर पटना चली गयी।
ग्राम कचहरी का ऐतिहासिक फैसला
पूरा मामला सामने आने के बाद ग्राम कचहरी में दोनों पक्षों को बुलाया गया। दोनों पक्षों की दलील सुनी गयी और एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया। सरपंच ने बताया कि सभी लोग यही चाहते थे कि दोनों का घर बस जाए लेकिन ऐसा न हो सका। दोनों पक्ष अब अलग-अलग अपनी रजामंदी से रहेंगे। उनके बीच कोई भी वैवाहिक संबंध नहीं रहेगा. दोनो स्वतंत्र हो कर जीवन यापन करेंगे, अब लड़की अपनी पढ़ाई जारी रख कर कैरियर बना पायेगी। यह फैसला दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद लिया गया।
source-prabhat khabar
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