बिहार सरकार की ओर से शुक्रवार को विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान जो ऐलान किया गया है उसके बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के अभ्यर्थियों को बड़ा झटका लगा है। अन्य आरक्षित वर्गों की तरह मिलने वाले दो महत्वपूर्ण लाभ से इस वर्ग के अभ्यर्थी लाभान्वित नहीं होंगे। बिहार में पद व सेवाओं तथा शैक्षणिक संस्थाओं में नामांकन के लिए दिए जाने वाले दस फीसदी आरक्षण का कोई बैकलाग तैयार नहीं किये जाने का फैसला किया गया है। इस वर्ग को उम्र सीमा में छूट का भी कोई फायदा नहीं मिलेगा।
दरअसल अगर ऐसा होता है कि किसी वर्ष इस आरक्षण के तहत अभ्यर्थी नहीं उपलब्ध हैं तो ऐसी स्थिति मे आरक्षण के अंतर्गत जो संख्या तय है, वह स्वत: उसी वर्ष समाप्त हो जाएगी। पद की यह संख्या अगले वर्ष के लिए नहीं जोड़ी जायेगी। विधानसभा में लाए गए एक ध्यानाकर्षण के उत्तर के रूप में शुक्रवार को सामान्य प्रशासन विभाग के प्रभारी मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने सदन मे यह जानकारी दी है। ध्यानाकर्षण अजीत शर्मा, समीर महासेठ, आनंद शंकर सिंह तथा मुरारी प्रसाद गौतम द्वारा लाया गया था।
प्रभारी मन्त्री बिजेंद्र यादव ने इस दौरान बताया कि बिहार सरकार द्वारा पहले ही इस संबंध में केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय की ओर से अधिसूचना के आधार पर फरवरी, 2019 में अधिसूचना जारी की जा चुकी है। अतः अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों के अधिकतम उम्र सीमा में छूट नहीं दी जायेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण को राज्य स्तर तक सीमित है और इस संबंध में अधिनियम में भी स्पष्ट कहा गया है कि राज्य के बाहर के अभ्यर्थी इस अधिनियम के अंतर्गत आरक्षण में लाभ का दावा करने के हकदार नहीं होंगे। यह केवल राज्य के अन्दर के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए है।
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