बिहार में राज्यपाल के कोटे की विधान परिषद सीट के लिए एनडीए ने सभी 12 एमएलसी की नामों की घोषणा कर दी है। एनडीए के घटक दल जदयू और बीजेपी ने छह सीटें आपस में इसे बाँट लिया है। इससे NDA के सहयोगी दल हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) तथा विकासशील इंसान पार्टी (VIP) मे काफी नाराजगी दिख रही है।
जदयू ने अपने सीट में हाल में हुए जेडीयू में विलय राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा को जगह दिया है, वही हम के मुखिया जितेंद्र राम मांझी की एक सीट की मांग को नकार दिया है। इसे लेकर हम पार्टी में काफी नाराजगी देख रही है। इतना ही नहीं नीतीश कुमार की पार्टी जदयू मे भी एक प्रवक्ता ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन है नाराज
एमएलसी के मनोनयन से जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि पार्टी ने मेरे साथ काफी अन्याय किया है। मेरे निष्ठा ,कर्तव्य परायण और योग्यता को बिल्कुल ही परे रख दिया है। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि नितीश कुमार जी सभी समाज के वर्गों को एक साथ लेकर चला करते हैं परंतु अभी बस एक जाति की उपेक्षा की जा रही है। एमएलसी में मनोयन के बाद अपने कार्यकर्ता को जो संदेश नीतीश कुमार देना चाहते हैं वह बिल्कुल साफ हो गया है। राजीव रंजन ने आगे कहा कि पार्टी में हर एक कार्यकर्ता के लिए जगह होनी चाहिए। पार्टी की यह निर्णय काफी पीड़ादायक है। मुझे इस बात को लेकर काफी अफसोस है कि पार्टी ने मेरे पक्ष में निर्णय नहीं लिया है।
हम के प्रवक्ता ने ये कहा
वहीं एमएलसी की सूची में जीतन राम मांझी का नाम नहीं होने पर जितना राम मांझी काफी नाराज दिख रहे हैं। उनकी पार्टी के प्रवक्ता डॉ दिनेश रिजवान ने कहा है कि यह फैसला बिना सहयोगियों को साथ लिए ही कर दिया गया है। हमारे कार्यकर्ता इस फैसले को लेकर काफी नाराज हैं। दानिश ने आगे कहा कि हम सभी की निगाहें मांझी जी के ऊपर टिकी हुई है , वह जल्द ही इस पर कोई बड़ा फैसला लेंगे।
इन नामो को मिली है जगह

गौरमतलब है कि जदयू ने अपनी सूची में उपेंद्र कुशवाहा, राम बच्चन राय, संजय सिंह , अशोक चौधरी, संजय गांधी तथा लल्लन सर्राफ को जगह दिया है। वहीं बीजेपी ने अपनी सूची में राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, डॉ प्रमोद कुमार, निवेदिता सिंह, जनक राम, घनश्याम ठाकुर तथा देवेश कुमार को जगह दिया है। दोनों ही पार्टी इस चयन में जाति समीकरणों को ध्यान में रखा है। इन सारे प्रक्रिया में जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी को कुछ भी हाथ नहीं लगी है।