बिहार के सभी प्रखंडों में वाहन प्रदूषण जांच केंद्र खोले जाने की तैयारी की जा रही है। इसकी स्थापना के लिए राज्य सरकार के द्वारा अधिकतम 50 फीसद या तीन लाख रुपये तक का अनुदान भी दिया जाएगा। जिन प्रखंडों में पेट्रोल पंप व सर्विस सेंटर के अतिरिक्त एक भी मोटरवाहन प्रदूषण जांच केंद्र नहीं है, योजना सिर्फ उन्हीं प्रखंडों में मान्य होगी।
इस योजना का नाम प्रदूषण जांच केंद्र प्रोत्साहन योजना रखा गया है। योजना की स्वीकृति के बाद परिवहन विभाग के द्वारा इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। बता दे कि इस योजना से जहां ग्रामीण इलाकों में गाडिय़ों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा तो वहीं प्रखंड स्तर पर रोजगार का भी सृजन हो सकेगा। सरकार द्वारा दी गई प्रोत्साहन राशि से प्रदूषण जांच केंद्र के लिए स्मोक मीटर, गैस एनलाइजर, डेस्कटाप, प्रिंटर आदि की खरीद की जाएगी।
डीटीओ कार्यालय में करना होगा आवेदन
प्रदूषण जांच केंद्र की स्थापना करने से पूर्व जिला परिवहन कार्यालय में इसके लिए आवेदन करना होगा। विभाग की वेबसाइट पर विज्ञापन का प्रकाशित की जाएगी। बता दें कि इस योजना का लाभ उन्हीं को मिलेगा, जो प्रदूषण जांच केंद्र विहीन प्रखंड के स्थायी निवासी होंंगे। इसके साथ ही शर्त यह है कि आवेदक मोटरवाहनों के रखरखाव एवं उसकी सर्विसिंग का व्यवसाय करता हो या मोटरवाहन से संबंधित किसी ट्रेड में आइटीआइ हो।सड़क सुरक्षा निधि द्वारा अनुदान की राशि का भुगतान किया जाएगा।
मालूम हो कि राज्य में 534 प्रखंड हैं। 387 प्रखंडों में एक हजार से अधिक प्रदूषण केंद्र पहले से स्थापित हैं। लेकिन अब भी 140 से अधिक प्रखंड ऐसे हैं, जहां प्रदूषण जांच की सुविधा नहीं है। परिवहन विभाग का लक्ष्य एक साल के अंदर एक हजार और प्रदूषण जांच केंद्र खोलना है। इस योजना से कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
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