बिना शारीरिक संबंध, अपने पेट में दूसरे का बच्चा… ! जानें क्या है सरोगेसी जिससे Priyanka Chopra बनी माँ

सरोगेसी (Surrogacy) को अगर सीधे और आसान शब्दों में समझाया जाए तो इसे किराए की कोख (Kiraye Ki Kokh) भी कहा जाएगा, जिसके तहत एक महिला बिना शारीरिक संबंध बनाए किसी ऐसे कपल के बच्चे को जन्म देती है, जो बायोलॉजिकल तौर पर उनका बच्चा होता है। दरअसल हाल ही में बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस सरोगेसी (Priyanka Chopra And Nick Jonasa become Surrogate Parents) के जरिए माता-पिता बनें है। प्रियंका चोपड़ा ने अपने जीवन की खुशी को सोशल मीडिया के जरिए फैंस के साथ साझा किया है। प्रियंका के सरोगेसी के जरिए मां बनने के बाद लोग सरोगेसी (Surrogate Mother) के बारे में जानने के लिए जिज्ञासु हो गए हैं। क्या है सरोगेसी? और किस तरह एक सरोगेट मदर दूसरी के बच्चे को जन्म देती है? आइए हम डिटेल में आपको सब कुछ बताते हैं।

क्या है सरोगेसी? (What Is Surrogacy)

सामान्य शब्दों में सरोगेसी को किराए की कोख भी कहा जा सकता है। सेरोगेसी बच्चा पैदा करने की आज कि वह तकनीक है, जिसमें माता या पिता में से किसी की भी शारीरिक तौर पर जरूरत नहीं होती। ज्यादातर ऐसे लोग इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं जिनमें बच्चा पैदा करने की क्षमता नहीं होती या उनमें शारीरिक तौर पर किसी तरह की कोई परेशानी होती है, या फिर बच्चे की वजह से परेशानी होने की उन्हें शारीरिक तौर पर आशंका होती है। ऐसी तकलीफ से बचने के लिए वह इस तकनीक का सहारा लेते हैं।

सरोगेसी के जरिए एक महिला किसी दूसरे के बच्चे को अपने कोख में जन्म देने तक पालती है। इसके लिए सरोगेट मदर एक तय रकम भी चार्ज करती है। दंपत्ति की और से सरोगेट मदर की प्रेगनेंसी के दौरान उनके स्वास्थ्य से लेकर उनके खान-पान तक की सारी जिम्मेदारियां उठाई जाती है। स्पष्ट तौर पर कहा जाए तो वह दंपत्ति उस महिला की कोख को एक तय समय सीमा के तहत किराए पर लेते हैं।

आईवीएफ तकनीक के तहत शुरू होती है प्रकिया 

सामान्य तौर पर देखा जाए तो किसी भी बच्चे को जन्म देने के लिए पति और पत्नी या किसी भी महिला या पुरुष के बीच सेक्सुअल रिलेशन होना जरूरी है, लेकिन इस प्रक्रिया में ऐसा नहीं है। इस प्रक्रिया के तहत एक महिला द्वारा हामी भरने के बाद डॉक्टर आईवीएफ तकनीक के जरिए पुरुष के स्पर्म में से शुक्राणु लेकर उसे महिला की कोख में प्रति रोपित करते हैं। सेरोगेट मदर बनने वाली महिला और दंपति के बीच इस दौरान एक खास तरह का एग्रीमेंट भी बनाया जाता है।

इस एग्रीमेंट के तहत सरोगेट मदर प्रेगनेंसी के दौरान अपने खानपान, अपनी मेडिकल जरूरतों का खास तौर पर ख्याल रखती है। इसके लिए आने वाला पूरा खर्च दंपत्ति की ओर से दिया जाता है। इसके अलावा सरोगेट मदर दंपत्ति से इसके लिए एक रकम भी चार्ज करती है।

सरोगेसी दो प्रकार की होती है

ट्रेडिशनल सेरोगेसी – यह सरोगेसी एक पारंपरिक सरोगेसी के तहत किराए पर ली गई कोख में पिता का स्पर्म महिला के एक्स से मैच कराया जाता है। इस सरोगेसी में बच्चे का जन्म तक संबंध केवल पिता से ही होता है।

जेस्टेशनल सेरोगेसी– इस प्रक्रिया के तहत पिता का स्पर्म और मां के एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब के जरिए सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। इससे जन्मे बच्चे का जन्म संबंध माता और पिता दोनों से होता है।

भारत में कौन सी महिला बन सकती है सेरोगेट मदर

फॉर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुडगांव की निर्देशक एवं एम्स की पूर्व हेड ऑफ द डिपार्टमेंट ऑफ ऑब्‍सटेट्रिक्‍स एंड गायनेकोलॉजी डॉ सुनीता मित्तल के मुताबिक भारत में कोई भी महिला सरोगेट मदर नहीं बन सकती। आर्थिक लाभ के लिए तो बिल्कुल भी नहीं। सरोगेसी के लिए एक स्वस्थ महिला की आवश्यकता होती है। महिला के पास मेडिकल तौर से खुद को फिट बताने का सर्टिफिकेट होना जरूरी है। उसके साथ ही अगर वह महिला पहले से मां है तो वह अपनी आखिरी और तीसरी गर्भावस्था तक ही सरोगेसी के जरिए बच्चों को जन्म दे सकती है।

एक महिला कितनी बार सरोगेसी से मां बन सकती है

डॉ सुनीता मित्तल के मुताबिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ किसी भी महिला को अधिकतम 3 बार मां बनने की सलाह देते हैं। बात चाहे उसके अपने बच्चे को जन्म देने की हो या सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा करने की। अगर कोई महिला पहले से एक बच्चे की मां है तो वह दो बार सरोगेसी से बच्चे पैदा कर सकती है और अगर पहले से वह दो बच्चों की मां है तो एक बच्चे को ही सरोगेसी से जन्म दे सकती है।

Kavita Tiwari