अकेले करते थे मजदूरी, परिवार का मिला साथ तो बन गए उधोगपति,अब विदेश कर रहे माल की सप्लाई

Written by: Satish Rana | biharivoice.com • 02 जनवरी 2021, 5:14 पूर्वाह्न

कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन के कारण वापस लौटे हुनरमंद प्रवासी बिहारी जब दूर देश में अकेले थे तो मामूली मजदूर थे. लेकिन जब परिवार के साथ रहने लगे तो उधमी बन गए. चनपटिया बाजार समिति के प्रांगण में लगभग 30,000 स्क्वायर फिट में 11 अलग-अलग तरह के उद्यमियों के लिए इन दिनों देश विदेश से मंगाई गई डिजिटल मशीनें तरह-तरह के माल तैयार कर रही है. यहां के तैयार माल स्पेन और बांग्लादेश सहित कई अन्य देशों तक पहुंच रहे हैं. जल्द ही 60,000 स्क्वायर फीट अतिरिक्त क्षेत्र में लगभग 48 अलग-अलग तरह के कारोबार का विस्तार करने की भी योजना है.

स्किल मैपिंग के आधार पर इनका हुनर का पहचान कर उन्हें करोड़ों रुपए के कर्ज उपलब्ध कराए गए. इससे ये उधम खड़े हो गए हैं. अर्चना और नंदकिशोर जरदोजी वर्क साड़ी तैयार करने का काम सूरत में करते थे. नौकरी खत्म होने के कारण घर लौट आए. आज यही अपना कारोबार कर रहे हैं. सोहेब ताहिर ने बताया कि एमबीए की डिग्री थी. मृत्युंजय कुमार दिल्ली में वोडाफोन में कार्यरत थे. उन्होंने शर्ट और ट्रैक सूट बनाने का काम शुरू किया आज उनकी डिमांड बढ़ती जा रही है.

साड़ी और लहंगा उद्योग

सूरत से वापस लौटे अर्चना और नंदकिशोर ने जरदोई साड़ी और लहंगा बनाने का काम शुरू किया है. कोरोना के पहले सूरत में भी यही काम कर रहे थे. साड़ियों पर जरी वर्क करने के लिए चीन से 16 हेड वाली मशीन मंगाई गई 25 लोगों को रोजगार दिया गया है. अब तक छह हजार साड़ी और लहंगे की सप्लाई सूरत, अहमदाबाद, मुंबई सहित देश के कोने-कोने में की है.

Shirt बनाने का कारोबार

दिल्ली के वोडाफोन में काम करने वाले मृत्युंजय कुमार को योजना के तहत कर्ज मिला. अभी तक 16000 और लगभग 5000 ट्रैक सूट की सप्लाई जिले और जिले से बाहर कर चुके हैं. 25 लोगों को रोजगार दिया गया है 40 लाख का व्यवसाय हो चुका है और छह माह में डेढ़ करोड़ का होगा.

दुपट्टा उद्योग

रायपुर से आने वाले फिरोज कैसर को 20 लाख का कर्ज मुहैया कराया गया. अब तक 50,000 से अधिक तरह-तरह के दुपट्टे की सप्लाई दे चुके हैं. ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिए 60 लाख की कमाई हो चुकी है. बिहार के कई जिलों में सप्लाई दे रहे हैं. आने वाले 6 महीने में दो करोड़ तक के व्यवसाय की उम्मीद.

स्वेटर भी बन रहा है

योगापट्टी निवासी और एक पैर से विकलांग पिंटू कुमार और जितेंद्र कुमार के पास अपनी मशीनें थी. पिंटू कुमार को डिजाइनिंग का भरपूर अनुभव था. अलग-अलग डिजाइन वाले 9000 स्वेटर की सप्लाई पूर्वी – पश्चिम चंपारण सहित कई जिलों में. 6 महीने के अंदर 50 लाख से अधिक के व्यवसाय करने की उम्मीद है.

ट्रैक सूट बनाने का काम

हरियाणा से मझौलिया लौटे सोहेब को 25 लाख का कर्ज उपलब्ध कराया गया. हरियाणा से 56 स्टिचिंग मशीन मंगाई गई. ट्रैक सूट और जैकेट बनाने का काम शुरू कर दिया गया. लद्दाख में 60,000 और स्पेन में अभी तक 7000 ट्रैक सूट की सप्लाई अब तक की जा चुकी है. 40 लोगों को रोजगार दिया गया है. अभी तक 40 लाख का व्यवसाय और आने वाले 6 माह में 90 लाख की व्यवसाय होगी.

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