विधुत उत्पादन और आपूर्ति आधुनिकता तथा आधारभूत संरचना की रीढ़ मानी जाती है। पिछले एक दशक से बिहार सरकार बिहार के विकास के लिए सड़क, बिजली, पुल के वादों पर अमल कर रही है लेकिन अब भी हम लक्ष्य से काफी पीछे है। बिहार के कई ग्रामीन इलाके अब भी बिजली से महरुम है। कई इलाकों मे इसकी आपूर्ति अपर्याप्त है। बिजली की समस्या को सुलझाने के लिए सरकार वैकल्पिक उपायो को भी आजमा रही है।
ऐसा ही एक उदाहरण बिहार मे देखने को मिल रहा है। बिहार मे जल्द ही सौर बिजली उत्पादन केंद्र की स्थापना की जायेगी। इसके लिए प्रयोग के तौर पर बिहार के दो जिले को चिन्हित किया गया है जिसमें एक दरभंगा भी है। कहा जाता है कि दरभंगा तालाबो का शहर है, इसलिए भी प्रयोग के तौर पर दरभंगा का चुनाव किया गया। अगर यह सफल रहा तो जहां जहां इसकी सम्भावना है, वहाँ वहाँ बिजली उत्पादन की यह तकनीक स्थापित की जाएगी।
नीचे मछ्ली ऊपर बिजली उत्पादन
दरभंगा के कादिराबाद मुहल्ले मे बिहार का पहला पानी के ऊपर तैरने वाला सौर बिजली घर लगाया जाने वाला है।यहाँ 1.72 मेगावाट उत्पादन क्षमता का सौर बिजलीघर बनाया जाएगा जो तालाब के अंदर होगा। दिल्चस्प बात यह है कि जिस तालाब मे यह लगाया जाएगा वहाँ मछ्ली पालन के साथ सौर ऊर्जा से भी विद्दुत् उत्पादन किया जाएगा ।पावर सब स्टेशन का निर्माण जारी है, ताकि सौर बिजली के उत्पादन होते ही पावर सब स्टेशन के द्वारा आम जनता तक बिजली उपलब्ध कराई जा सके। सब स्टेशन का काम लगभग- लगभग पूरा होने को है, कुछ माह के अंदर ही यह पूरी तरह तैयार हो जाएगा, जिसके बाद बिजली विभाग के अपने तालाब मे सौर बिजली उत्पादन केंद्र की स्थापना की जाएगी। ब्रेडा कम्पनी सरकार के साथ मिलकर इस योजना पर एक समझौते के तहत काम कर रही है।
पीपीपी मॉडल पर बन रहा
दरभंगा के विधायक संजय सरावगी ने इस योजना पर जानकारी देते हुए बताया कि यह परियोजना पीपीपी मॉडल पर है, इसमें 7 करोड़ से ज्यादा कि लागत आयी है, यह निवेश निजी कम्पनी द्वारा की गई है,जबकि बिजली उत्पादन शुरू होते ही तय दर से सरकार को बिजली खरीदनी होगी। यह भी कहा गया कि अगर यह योजना सफल होती है तो ऐसा दरभंगा मे इसे कई और जगहों पर भी लगाया जाएगा, क्योकि दरभंगा तालाबो का शहर है।