यूक्रेन और रूस (Ukraine Russia War) के बीच छिड़ी जंग की गूंज हर देश में सुनाई दे रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं है और वही बिहार पर भी इसका भारी असर पड़ रहा है। गुरुवार को बिहार विधानसभा में यूक्रेन (Bihar Assembly) जैसे देशों में भारी तादाद में एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई करने जाने वाले बिहार के छात्रों का मुद्दा उठा, तो सभी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। इस दौरान जेडीयू विधायक संजीव कुमार के साथ सत्ताधारी पार्टी के कई विधायकों ने इस पर सवाल उठाया। साथ ही कहा कि बिहार में सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय कम है और यही कारण है कि बच्चे निजी कॉलेज में एडमिशन कराने के लिए भारी रकम देते हैं और दूसरे देशों में जाकर पढ़ाई करते हैं।
बिहार विधानसभा में गूंजा यूक्रेन में पढ़ाई का मु्द्दा
इस दौरान सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने यह भी मांग की कि बिहार में निजी चिकित्सा महाविद्यालय में फीस कैंपिंग कराई जाए। फीस में कटौती और फीस निर्धारण कर सीएम नीतीश कुमार पूरे देश के लिए बिहार की ओर से मिसाल पेश करें, जैसे उन्होंने बीते सालों में कई मामलों में बड़े फैसले लेते हुए देश के लिए बिहार की ओर से कई मिसाल पेश की है।
इस दौरान सरकार से प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की अपील भी की गई। बिहार में सरकारी मेडिकल कॉलेज की कमी के कारण बिहार के हजारों छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए निजी कॉलेज में एडमिशन कराते हैं और इसके लिए वह हर साल 12 लाख रुपए एडमिशन और 3 लाख रुपए हॉस्टल के लिए देकर कुल 15 लाख रुपए एमबीबीएस की पढ़ाई में खर्च करते हैं।
सीएम नीतीश ने जताई नेशनल लेवल की चिंता
विधानसभा में इस मुद्दे के उठने के बाद इस पर सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ने के लिए बड़ी संख्या में बच्चे यूक्रेन जा रहे हैं। इस बात पर नेशनल लेवल पर विचार करने की आवश्यकता है। यह जो कंपटीशन होता है, ये नेशनल स्तर से होता है। नीतीश कुमार ने कहा कि बाहर जाने के लिए कोई परीक्षा नहीं देनी होती है। बिहार गरीब राज्य है सिर्फ इसलिए यहां के बच्चे पढ़ने नहीं गए हैं, अमीर राज्यों के बच्चे भी पढ़ने गए हैं। भारत में इस मुद्दे पर क्या किया जा सकता है, इस बात पर विचार करना जरूरी है। इसे देखना और समझना जरूरी है।
इस दौरान नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि नया-नया सोशल मीडिया आया, तो उससे जानकारी मिली। पहले भी लोग पढ़ने विदेश जाते थे, लेकिन सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी के लोग जाते थे। हम लोगों को हाल ही में इस बात की जानकारी हुई कि इतने सारे लोग वहां पढ़ने जा रहे हैं। इन चीजों पर निश्चित तौर पर विचार करना जरूरी है। यह मामला सिर्फ राज्य सरकार के लिए ही नहीं है, इस पर राष्ट्रीय स्तर पर विचार करना जरूरी है।
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