देश के विकास में और पूरे देश को जोड़ने में बड़ा योगदान दे रहा रेलवे भी गुटखे के निशान, हाथियों के साथ हादसे और पटरियों पर मल की हाथों से सफाई की प्रक्रिया जैसी समस्याओं से परेशान है। लेकिन इन मुश्किलों से निपटने के लिए रेलवे अब खास तरह के प्लान के साथ तैयार हैं। इन उपाय के बारे में हम आपको विस्तार से समझाते हैं।
गुटखा के दाग मिटाने पर इतना ज्यादा खर्च
अनुमान के मुताबिक प्रत्येक वर्ष भारतीय रेलवे केवल पीक के दाग मिटाने के लिए 1200 करोड़ रुपये और ढेर सारा पानी खपत करता है। इनमें विशेष रूप से गुटखा और पान खाकर थूकने वालों के निशान शामिल हैं। कोविड-19 के बाद लगी पाबंदियों के बाद भी थूक के निशान बड़ी समस्या हैं। इसके समाधान के रूप में जेब में रखा जा सकते वाला बायोडीग्रेडेबल थूकदान है, जिसका इस्तेमाल बाद में भी करना संभव है। इसमें बीज को शामिल किया गया है, अतः जब इसे डिस्पोज किया जाएगा तो इनमें पेड़ लग सकेंगे। लोगों को थूकने से रोकने के लिए 42 स्टेशनों पर वेंडिंग मशीन और कियोस्क लगाए जा रहे हैं, जहां ये थूकदान 5 से 10 रुपये में मिल सकेगा।
हाथियों को डराने के लिए मधुमक्खियां
रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा एक बार एक लेख में लिखा गया था, ‘एक सुबह प्रधानमंत्री ने मुझे एक अनोखा सुझाव दिया। उन्होंने सुना था कि हाथी, मधुमक्खियों से डरते हैं और उनकी आवाज से भागते हैं। उन्होंने मुझसे इस बारे में विचार करने के लिए कहा कि क्या पटरियों पर हाथियों के साथ दुर्घटनाओं को कम करने के लिए इस तथ्य को उपयोग में लाया जा सकता है।
पटरियों पर से विचरण कर रहे हाथियों को हटाने के लिए मुधमक्खियों की आवाज का इस्तेमाल कर ‘प्लान बी’ की पहल की गई थी। और यह बात सच में बहुत काम की निकली। इस योजना के जरिए मई 2017 से लेकर मई 2021 हाथियों के साथ हो रहे हादसे मे काफी कमी आई हैं। 950 से ज्यादा हाथियों की जान बची है.’ नवंबर 2017 में भारतीय रेलवे द्वारा नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवेज (NFR) में हाथियों को ट्रेन की चपेट में आने से रोकने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई थी।
पटरियों पर हाथ से सफाई की प्रक्रिया बंद
विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्रालय की तरफ से 5 अप्रैल 2021 को कहा गया था कि पटरियों को साफ करने के लिए स्वचालित वाहन तैयार किया जा चुका है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च (NITTTR) भोपाल के डॉक्टर शरद के. प्रधान की तरफ से इस सम्बन्ध में एक बयान जारी किया गया था जिसके मुताबिक, एक मल्टीफंक्शनल रेलवे ट्रैक स्कैवेंजिग व्हीकल तैयार कर लिया गया है। इस वाहन में सूखे और गीले सक्शन सिस्टम, हवा और पानी छिड़कने वाले नॉजल, कंट्रोल सिस्टम समेत अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध है। इसमें ड्राइवर के अलावा सफाई के लिए केवल एक ही व्यक्ति की आवश्यकता होगी।