शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत अब प्राइवेट स्कूल में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए नर्सरी से ही 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित होगी। आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक अपने बच्चे का नामांकन नर्सरी व एलकेजी में करा सकेंगे। बता दें कि इससे पहले 6 से 14 साल तक के बच्चों को नामांकन दिए जाने का नियम था, लेकिन अब तीन साल से 18 साल तक शिक्षा का अधिकार कानून लागू रहेगा। रजिस्टर्ड सभी निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीट आरक्षित रहती हैं। अभी तक यह कक्षा एक के लिए लागू थी, लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत अब कक्षा एक से नहीं बल्कि नर्सरी में ही 25 फीसद सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित की गई है। अब सभी रजिस्टर्ड प्राइवेट स्कूल में गरीब बच्चों का नामांकन लिया जाएगा।
बिना रजिस्ट्रेशन के निजी विद्यालय नहीं होंगे संचालित
वैसे स्कूल जो अब तक शिक्षा विभाग के दायरे में नहीं आए हैं, उनके लिए शिक्षा विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है। विभाग द्वारा इसके लिए 30 नवंबर तक की आखिरी तिथि निर्धारित की गई है। सभी निजी स्कूलों को विभाग के ही पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद शिक्षा विभाग के द्वारा स्कूलों का भौतिक सत्यापन कराएगा। सत्यापन के बाद स्कूलों को एक कोड जारी किया जाएगा। इसके बाद ही रजिस्टर्ड सभी स्कूलों में आरटीइ के प्रावधान लागू किए जाएंगे।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथिलेश कुमार कहते है कि, शिक्षा के अधिकार के तहत 25 प्रतिशत एडमिशन को प्री प्राइमरी कक्षा से ही लागू किया जाएगा। इससे आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। प्राइवेट विद्यालयों को ई-संवर्धन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए निर्देश जारी किए जा चुके हैं। नियम के बाद भी विभिन्न प्रखंडों में तय मानकों को पूरा नहीं करने वाले कई निजी विद्यालय संचालित हो रहे हैं। विभागीय आदेश के बाद रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले निजी विद्यालयों पर कारवाई की तैयारी की जा रही है।
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