विकास की गति को तीव्र करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी परियोजना शुरू की गई थी, जिसमें बिहार के शहरों को भी शामिल किया गया था। लेकिन बिहार मे इस परियोजना पर कितनी धीमी गति से काम हो रहा है, इसका अंदाजा शहरों की रैंकिंग से लगाया जा सकता है। देश भर के 100 शहरों मे पटना को 62वां स्थान मिला है। 100 शहरों की सूची मे बिहार के तीन अन्य शहरों को भी स्थान मिला है। लेकिन ये रैंकिंग थोड़ा आश्चर्य उत्पन्न कर सकते हैं, क्योकि सिल्क सिटी भागलपुर और लिचियों का शहर मुजफ्फरपुर को बिहारशरीफ से भी नीचे स्थान मिला हैं।
इस बार 100 शहरों की सूची मे बिहारशरीफ 70वें स्थान पर, जबकि भागलपुर को 91वां और मुजफ्फरपुर को 99 वां स्थान मिला है। वही भोपाल ने इस सुची मे प्रथम स्थान हासिल किया है। इसी के साथ वह 100 स्मार्ट सिटी में सर्वाधिक व्यय करनेवाला शहर बन चुका है। दूसरे स्थान पर सूरत है, जबकि इंदौर तीसरे स्थान पर और फिर उसके बाद चौथे स्थान पर अहमदाबाद है। smart सिटी के रैंकिंग मेपुडुचेरी सबसे निचले स्थान पर है।
स्मार्ट सिटी की रैंकिंग इस परियोजना मे शामिल शहरों द्वारा चयनित योजनाओं और खर्च राशि के साथ ही स्थानांतरण के आधार पर की गई। जिसमें भोपाल 85.56 फीसदी अंको के साथ देश भर मे अव्वल रहा। भोपाल ने 21.71 फीसदी फंड ट्रांसफर और 21.24 फीसदी फंड इस्तेमाल किया, जो 100 शहरों की सूची मे सबसे अधिक है।
ये है बिहार के स्मार्ट सिटी का हाल
बिहार की राजधानी पटना को 34.39 फीसदी अंक मिले। पटना मे स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत अब तक मे 8.18 फीसदी फंड ट्रांसफर और 7.44 फीसदी फंड का इस्तेमाल किया और 62वे स्थान पर रहा, तो वही बिहारशरीफ को 28.3% अंक मिला, यहाँ 2.48 फंड ट्रांसफर और 5.26 फीसदी फंड इस्तेमाल किये गए, इसी के साथ वाह 70वे स्थान पर रहा। अगर सिल्क सिटी भागलपुर की बात करें तो यहा 8.4 फीसदी फंड ट्रांसफर और 1.75 फीसदी फंड का इस्तेमाल किया गया है और इसे 15.19 फीसदी अंक मिले हैं। मुजफ्फरपुर को 8.13 अंक दिए गए हैं, यहाँ 2.4 फीसदी फंड ट्रांसफर हुआ है और वहां 3.63 फीसदी फंड का इस्तेमाल किया गया है।
2017 मे पटना मे शुरू थी ये परियोजना
अगर राजधानी पटना की बात करें तो साल 2017 मे यहाँ स्मार्ट सिटी परियोजना शुरू की गई, लेकिन पांच वर्षो मे भी विकास की गति धीमी है, जिसे लेकर पटना की प्रथम नागरिक और मेयर सीता साहू भी चिन्तित है और पूर्व महापौर और निगम पार्षद विनय कुमार पप्पू ने भी इसे अफसोसजनक बताया है। परियोजना शुरू होने के बाद केंद्र सरकार द्वारा पटना स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड को 194 करोड़ सहित कुल 380 करोड़ रुपये की राशि दी गई, जिसमें से 131 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया गया है। कई योजना अब भी अधर मे है।
पटना मे ये सारी कार्य अधर मे
गांधी मैदान में मेगा स्क्रीन बनकर तैयार है लेकिन तकनीकी कारणों से इसका इस्तेमाल अभी संभव नहींं हो सका है। पटना के अदालतगंज तालाब के सौंदर्यीकरण का कार्य अब तक अधूरा पड़ा है। मंदिरी और बाकरगंज नाले को पाटकर स्मार्ट रोड बनाने की योजना भी अभी अधर मे है , चंद पटेल पथ को स्मार्ट रोड बनाने का काम भी पूरा नहीं किया जा सका है।
शहर मे तीन दर्जन जनसेवा केंद्र बनाए जाने थे, जिसके लिए भवन बनाने का काम तो पूरा हो चुका है लेकिन अब तक एक भी चालू किए जाने की हालत में नहीं है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट स्टैंड बनाने समेत कई योजनाएं आज भी लंबित पडी है। शहर के आधा दर्जन स्कूलों की आधारभूत संरचना बेहतर किये जाने की जरुरत थी, जिसे आज तक पूरा नहीं किया जा सका है। इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के अंतर्गत सभी होल्डिंग में क्यूआर कोड लगाने की योजना भी अधर मे लटकी है।
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