कभी दोस्तों से स्टिक मांग हॉकी खेलते थे बिहार के विवेक सागर, अभी देश को पदक दिलाने वाले टीम मे हैं शामिल

टोक्यो में आयोजित खेलों के महाकुंभ ओलम्पिक (Tokyo Olympic) की प्रतियोगिता चल रही है,जिसमें मंगलवार को हॉकी के सेमीफाइनल में भारत (Team India) का मुकाबला वर्ल्ड चैंपियन बेल्जियम (World Champion Belgium) के साथ होनेवाला है। भारत के लिए यह मुकाबला तो महत्वपूर्ण है लेकिन यह मुकाबला बिहार और साथ ही सिवान के लिए भी बहुत खास है, क्योंकि 49 साल मे पहली बार भारत ओलंपिक में हॉकी मे पदक जीत सका है और सिवान के रघुनाथपुर का विवेक सागर इस टीम के हिस्सा है। वे बिहार का एक ऐसा सितारा है जो अपने चुस्ती फुर्ती से टीम को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।

वर्तमान मे मध्य प्रदेश मे रह रहे

विवेक सागर मूल रूप से रघुनाथपुर के कनहौली गांव के हैं लेकिन वर्तमान मे वे और उनका परिवार मध्य प्रदेश के होशांगाबाद के इटारसी में रहता है। उनके पिता रोहित प्रसाद पेशे से शिक्षक हैं तो माता कमला देवी गृहणी हैं। विवेक चार भाई बहन है जिसमें वे सबसे छोटे हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा इटारसी से ही पूरी की है। गांव में रह रहे उनके एक रिश्‍तेदार डॉ धनंजय प्रसाद ने कहा कि वे और उनका गाँव विवेक की इस उपलब्धि से गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

इस बार टीम इंडिया ने ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया है और अर्जेंटीना को 3-1 से हराकर क्‍वार्टर फाइनल में प्रवेश कर चुकी है। इसके बाद आस्‍ट्रेलिया को भी मात देकर सेमीफाइनल में जगह पक्की कर ली है। इस मैच में मिडफिल्‍डर विवेक सागर ने अपने शानदार प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा है।

दोस्तों से स्टिक मांग कर खेलते थे हॉकी

जब विवेक ने हॉकी खेलना शुरू किया तो उनके घर की आर्थिक दशा अच्छी नहीं थी। पैसे की कमी के चलते वे अपने दोस्तों से हाकी स्टिक मांगकर हॉकी खेलते थे। उनके बड़े भाई विद्यासागर ने बताया कि पिता को विवेक का हाकी खेलना बिलकुल पसंद नहीं था। वे विबेक को पढ़ा लिखा कर बड़ा हाकिम बनाना चाहते थे। इस वजह से कई बार विवेक की पिटाई भी हुई। लेकिन बड़े भाई और मां ने हमेशा उनका साथ दिया। कई बार ऐसा होता था कि विवेक को डांट से बचाने के लिए उनकी माँ झूठ बोल।दिया करती थी । लेकिन जब विवेक बड़े स्तर पर खेलने लगे तो उन्हे पिता का भी समर्थन मिला। दस दिन पूर्व रोहित प्रसाद गांव आए थे और उन्होंने खुद सभी को बेटे की सफलता की जानकारी दी।

कहा जाता है कि विवेक सागर हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार की खोज है। दरअसल एक बार विवेक अकोला में टूर्नामेंट में भाग लेने पहुंचे थे। इस दौरान अशोक ध्यानचंद की नजर उन पर पड़ी। विवेक के दौड़ने की तकनीक और पैरों के गजब तालमेल को देखकर अशोक कुमार बहुत प्रभावित हो गए और उन्होंने खुद विवेक को एमपीएकेडमी जॉइन करने का ऑफर दिया जिसे ज्वाइन करने के लिए विवेक भोपाल आ गए। अपनी लगन और दृढ इच्‍छाशक्ति के दम पर विवेक आज भारतीय टीम के मुख्‍य खिलाड़ि‍यों में से एक हैं।

Manish Kumar

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