ट्रेनों (trains) में सफर करने वाले यात्रियों (Passenger) के लिए रेलगाड़ी की यात्रा अब और भी आसान हो जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेन में भी यात्रियों को अब फ्लाइट की तरह कटलरी (cutlery) की सुविधा मिल सकेगी। इंडियन रेलवे कैटरिंग ड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) की तरफ से ट्रेनों में खाने के लिए दी जाने वाली कटलरी में बदलाव का फैसला लिया गया है, अब यात्रियों को स्टील या प्लास्टिक नहीं बल्कि यूज एंड थ्रो वाली लकड़ी की कटलरी मे खाना परोसा जा रहा है। आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। यात्रियों को जिस कटलरी मे खाना दिया जाएगा वह पूरी तरह से पैक्ड होगी।
अभी आईआरसीटीसी की तरफ से 600 ट्रेनों में खाने की सुविधा दी जाती है। पहले कटलरी प्लास्टिक या स्टील की होती थी। स्टील की कटलरी इस्तेमाल में लाए जाने के बाद उसे साफ करने की जरुरत होती थी, तो वहीं प्लास्टिक की कटलरी खुली होती थी, इससे संक्रमण फैलने की संभावना थी। इन्ही बातों के मद्देनजर ट्रेनों में यूज एंड थ्रो पैक्ड कटलरी को इस्तेमाल में लाने का फैसला किया गया है। इससे संक्रमण के खतरे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
200 ट्रेनों में पेंट्री कार
आईआरसीटीसी द्वरा 600 रेलगाड़ियों में भोजन की सेवा दी जाती है। इसमें 200 ट्रेन ऐसे होते हैं जिसमें पेंट्री कार लगी होती है, जिससे दिए जाने वाले भोजन की आपूर्ति की जाती है। अगर शताब्दी, राजधानी, दूरंतो जैसी ट्रेनों की बात करें तो उसमें मिनी पेंट्री कार होती है। जबकि अन्य ट्रेनों मे आईआरसीटीसी के वेंडर द्वारा खाना सप्लाई किया जाता है। अब से इन सभी ट्रेनों में यूज एंड थ्रो वाली कटलरी का इस्तेमाल किया जाएगा।
ट्रेन होस्टेज की भी हो चुकी है शुरुआत
आपको बता दें कि ट्रेनों में फ्लाइट की तर्ज पर ट्रेन होस्टेज सेवा की शुरुआत हो चुकी है। आईआरसीटीसी के अधिकारियों ने बताया कि यात्रा के दौरान अच्छी सुविधा देने के उद्देश्य से यह किया गया है। उनका कहना है कि पुरुषों की अपेक्षा फीमेल द्वारा क्रू सर्विस को बेहतर ढंग से किया जाता है। यह तर्क भी दिया गया कि इस वूमेन क्रू बातचीत में ज्यादा सहज होती हैं, और पुरुषों की तुलना में वे बातचीत के दौरान आक्रमकता नहीं रखती हैं। यात्री द्वारा ट्रेन होस्टेज से होनेवाली शिकायत बेहद कम होती है। आईआरसीटीसी ने यह भी बताया कि इस बदलाव की सबसे अहम वजह महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना है। अन्य क्षेत्रों की तरह महिलाएं भी इस क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगी।
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