34 साल पुराने मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व क्रिकेटर रहे नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot singh sidhu) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को सजा सुनाई, जिसके बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया। बता दे सिद्धू से जुड़ा यह मामला 34 साल पुराने रोडवेज मामले से जुड़ा है। सिद्धू के खिलाफ इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाई है, जिसके बाद सिद्धू ने यह कहते हुए सरेंडर (Navjot singh sidhu in jail) कर दिया है कि- मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं… क्या है यह पूरा मामला आइए हम आपको डिटेल (Navjot singh sidhu case update) में बताते हैं।
जेल पहुंचे नवजोत सिंह सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू पर 34 साल पुराने रोडवेज मामले में सुनवाई हुई है। बता दे सुनवाई से पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपने खिलाफ रोडवेज मामले में दायर पुर्नविचार याचिका को खारिज करने की मांग की थी। सिद्धू ने इस पुनर्विचार याचिका के जवाब में कहा था कि- यह घटना 33 साल पहले की है और विचारणीय नहीं है… लेकिन कोर्ट ने इस मामले में अब उन्हें सजा सुना दी है, जिसके चलते उन्होंने कल की रात जेल में ही गुजारी है और आगे भी वह जेल में लंबे वक्त तक रहने वाली हैं।
कैदी नंबर 241383 ये हैं सिद्धी की पहचान
कल रात से नवजोत सिंह सिद्धू की पहचान बदल गई है। जेल में हर कैदी का जैसे एक नाम होता है, वैसे ही नवजोत सिंह सिद्धू को भी कैदी नंबर 241383 का टैग दिया गया है। अब नवजोत सिंह सिद्धू की नई पहचान यही है। बता दे सिद्धू को जेल में काम के बदले 30 से ₹90 रोजाना मिलेंगे। उन्हें सेंट्रल जेल में 10*15 की कोठी अलॉट की गई है। इस बैरक में सिद्धू के साथ चार और कैदी भी हैं। इन कैदियों में दो पूर्व पुलिसकर्मी और दो आम नागरिक भी शामिल है। जो अलग-अलग अपराधों की सजा काट रहे हैं।
सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू के बैरक में बदलाव किया गया है। दरअसल सिद्धू को पहले बैरक नंबर 7 अलॉट की गई थी, जिसे बदलकर अब उन्हें बैरक नंबर 10 दिया गया है। सिद्धू को जेल में जो जगह अलॉट की गई है बता दे उसी जेल में उनके पास शिरोमणि अकाली दल के नेता और धुर विरोधी बिक्रम सिंह मजीठिया भी है। याद दिला दें कि बिक्रम सिंह मजीठिया और नवजोत सिंह सिद्धू एक दौर में राजनीति के पटल पर एक-दूसरे के धुर-विरोधी रह चुके हैं। दोनों कई बार एक दूसरे पर वार-पलटवार का खेल भी खेल चुके हैं।
कैसी कटी सिद्धू की कल की रात
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी जेल की पहली रात खाना नहीं खाया। बता दें इससे पहले सिद्धू ने शुक्रवार की शाम को मेडिकल टेस्ट के दौरान ही खाना खाया था। सिद्धू को जेल में आम कैदियों की तरह ही रखा गया है। उन्हें इस दौरान किसी भी तरह की कोई एडवांस या खास तरह की सुविधा नहीं दी गई है, जिसे लेकर आज उनका जेल में टेस्ट भी हो सकता है। बता दे सिद्धू को शुक्रवार रात जेल की लाइब्रेरी के अहाते में रखा गया था। वह शनिवार को उन्हें उनके बैरक में शिफ्ट कर दिया गया है।
सिद्धू के वकील ने खाने को लेकर किया आवेदन
पटियाला कोर्ट के वकील एचपीएस वर्मा ने नवजोत सिंह सिद्धू के खाने को लेकर आवेदन दिया है। जेल ले जाने से पहले उन्होंने खाना खाया था। उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू की चिकित्सा आवश्यकताओं का हवाला देते हुए उनके खाने को लेकर एक आवेदन दिया है। वकील का कहना है कि वह गेहूं, मांसाहारी भोजन और चीनी का सेवन नहीं कर सकते हैं। वह डबल टोंड दूध ले सकते हैं।
किस मामले में हुई सिद्धू को जेल की सजा
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 1988 रोडवेज केस में 1 साल की सजा सुनाई है। बता दे यह घटना उस दौरान की है, जब नवजोत सिंह सिद्धू क्रिकेटर हुआ करते थे। इस दौरान उनका अंतरराष्ट्रीय कैरियर शुरू हुए एक साल ही हुआ था। नवजोत सिंह सिद्धू की उम्र उस समय 25 साल की थी और सिद्धू ने पटियाला में 27 दिसंबर 1988 की दोपहर गुरनाम सिंह जो कि 65 साल के थे, उनके साथ मामूली सी पार्किंग को लेकर विवाद किया। इतना ही नहीं उनके सर पर मुक्का भी मार दिया था, जिसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई।
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