Navjot Singh Sidhu News :पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को रोडवेज मामले में 34 साल बाद सजा सुनाई है। इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू अब जेल (Navjot Singh Sidhu In Jail) की सजा काटने पटियाला जेल पहुंच गए हैं। सिद्धू से जुड़ा यह मामला करीबन 34 साल पुराना यानी 27 दिसंबर 1988 का (Navjot Singh Sidhu Case) है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने खुद ही सरेंडर कर दिया और साथ ही कहा कि वह कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं।
34 साल पुराने मामले में सिद्धू को हुई जेल
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू को 34 साल पुराने मामले में सजा सुनाए जाने के बाद अब हर कोई जानना चाहता है कि आखिर यह 34 साल पहले पुराना मामला क्या है, जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू को सक्षम कारावास यानी कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू की इस कहानी की शुरुआत एक छोटी सी लड़ाई से हुई थी, जो इतनी बढ़ गई कि एक शख्स की मौत हो गई। क्या है पूरा मामला आइए हम आपको डिटेल में बताते हैं।
क्या है नवजोत सिंह सिद्धू का 34 साल पुराना केस
यह मामला 27 दिसंबर 1988 का है, जब नवजोत सिंह सिद्धू शाम को अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट गए थे। बता दे यह जगह उनके घर से करीब 1.5 किलोमीटर दूर है। उन दिनों नवजोत सिंह सिद्धू एक जाना-माना नाम हुआ करते थे। दरअसल वह एक फेमस क्रिकेटर थे। उनका अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए उस दौरान एक साल हो चुका था। हर कोई नवजोत सिंह सिद्धू को पहचानता भी था।
पार्किंग को लेकर शुरु हुआ था विवाद
मार्केट में नवजोत सिंह सिद्धू एक 65 साल के व्यक्ति गुरनाम सिंह से पार्किंग को लेकर भीड़ गए। देखते ही देखते ये मामला इतना बिगड़ गया कि नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार कर गिरा दिया। इसके बाद उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई। इस मामले में सिद्धू के खिलाफ सबसे पहले पंजाब के पटियाला जिले में एफआईआर दर्ज कराई गई।
मामला दर्ज हुआ तो कार्रवाई भी शुरू हो गई। 22 सितंबर 1999 को पटियाला की ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त संधू को इस मामले में बरी कर दिया, लेकिन फिर साल 2002 में पंजाब सरकार की अपील पर शिकायत के बाद मामला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा। एक बार फिर मामले पर सुनवाई शुरू हुई। इसके बाद देखते ही देखते यह मामला साल 2006 तक खींचता चला गया। हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों आरोपियों पर अलग-अलग सुनवाई होगी।
इसके बाद हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू दोनों को सेक्शन IPC 304 || के मद्देनजर दोषी ठहराया। दोनों को 3-3 साल की सजा भी सुनाई गई और साथ में एक ₹100000 का जुर्माना भी लगा।
कोर्ट के फैसले से राजनीति तक सिद्धू
इसके बाद यह मामला साल 2007 में हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए पहुंचा। सिद्धू की ओर से बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली ने यह केस लड़ा। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और सिद्धू और संधू दोनों को बरी कर दिया गया। सिद्धू और संधू को दोनों केस यानी गैर इरादतन हत्या और रोडवेज दोनों मामलों में बरी कर दिया गया। कोर्ट ने बस गुरनाम को चोट पहुंचाने के लिए सिद्धू पर 1000 रुपए का जुर्माना लगाया। इसके बाद साल 2007 में सिद्धू अमृतसर से चुनाव लड़े और जीत भी गए।
अब हुई सिद्धू को 1 साल की सजा
साल दो हजार अट्ठारह सितंबर में पीड़ित के परिवार ने यह कहते हुए एक बार फिर पुर्नयाचिका दायर कर कहा कि यह सजा बहुत कम है। सुप्रीम कोर्ट भी इस सुनवाई को राजी हो गया। इसके बाद 25 मार्च 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए 19 मई को फैसला सुनाने का ऐलान किया। 19 मई को सिद्धू को रोडवेज के मामले में एक साल की सजा सुनाई गई। पीड़ित के परिवार ने सिद्धू पर आईपीसी की धारा 304 के मद्देनजर मामला दर्ज करने की मांग भी उठाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। फिलहाल यह तो तय है कि नवजोत सिंह सिद्धू को एक साल की सजा हो गई है।