बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बनी लंगट सिंह कॉलेज (Langat Singh College) से बीते 106 सालों से स्थित पुरानी खगोलीय वेधशाला (Astronomical Observatory) अब दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गई है। दरअसल इस कॉलेज की इस खगोलीय वेधशाला को अब यूनेस्को की धरोहर की सूची (UNESCO World Heritage) में शामिल कर लिया गया है। पूर्वी भारत में इस तरह की पहली वेधशाला की स्थापना साल 1916 में कॉलेज परिसर के अंदर की गई थी। इस वेधशाला के अंतर्गत कॉलेज परिसर के छात्रों को विस्तार से खगोलीय ज्ञान की शिक्षा दी जाती है।
अब खराब होने लगी थी खगोलीय वेधशाला की हालत
लंगट सिंह कॉलेज के प्रचार्य ओपी राय का कहना है कि साल 1946 में कॉलेज में एक तारामंडल स्थापित किया गया था। 1970 के बाद इस खगोलीय वेधशाला के साथ-साथ तारामंडल की स्थिति भी धीरे-धीरे गिरने लगी। वहां स्थापित अधिकांश मशीनें धीरे धीरे खराब होने लगी और कुछ तो एकदम कबाड़ हो गई।
सरकार अनुरोध के बाद भी नहीं ले रही थी सूध
इस दौरान उन्होंने बताया कि हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वेधशाला का अवलोकन किया था, जिसके बाद उन्होंने अधिकारियों को इसके जीर्णोद्धार के मद्देनजर अनुदान देने का वादा किया था, लेकिन इस दिशा में अब तक कुछ नहीं हुआ है। प्राचार्य ने बताया कि अब यूनेस्को की धरोहर सूची में इस लुप्त वेधशाला के शामिल हो जाने से इसके जीर्णोद्धार की उम्मीद जताई जा रही है। साथ ही यह भी उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार इसके संरक्षण के लिए जल्द से जल्द कोई कदम जरूर उठाएगी।
यूनेस्को में खगोलीय वेधशाला का नाम शामिल होने पर उन्होंने इसे ऐतिहासिक क्षण बताया। साथ ही इस दौरान कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षकों ने भी यूनेस्को की सूची में इसके शामिल होने पर अपनी राय रखी और अलग-अलग अदाज में खुशी जाहिर की।
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