राम मंदिर के तर्ज पर अब धनीपुर में बनने वाली मस्जिद का डिजाइन भी सामने आ चुका है. अयोध्या के धनीपुर गांव में बनने वाली प्रस्तावित मस्जिद पारंपरिक शैली से अलग और काफी आधुनिक होगी. जिस में मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल और लाइब्रेरी भी रहेगी. डिजाइन सामने आने के साथ ही इसके वास्तुविद का नाम भी चर्चा में है.परियोजना के मुख्य वास्तुकार प्रोफेसर एसएम अख्तर ने डिजाइन अंतिम रूप दिया है.
अयोध्या में नक्शा बनाने से पहले प्रोफेसर अख्तर जामिया की बिल्डिंग के अलावा दिल्ली में डिफेंस कॉलोनी में शेख अली की मजार, अरब की सराय में सैयद यासीन की मजार और मस्जिद जैसे कई निर्माण कार्य करवा चुके हैं.
प्रोफेसर अख्तर वास्तुविद होने के साथ-साथ सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर काफी रिसर्च किया है. और इसके लिए उन्हें डी लिट की उपाधि मिल चुकी है. विकास का यही मॉडल प्रस्तावित मस्जिद में भी दिखता है. नए मस्जिद की डिजाइन में पारंपरिक शैली को हटाते हुए बिल्कुल नए मॉडल नक्शा तैयार हुआ है जिसमें मस्जिद के अंडाकार का डिजाइन में कोई गुंबद नहीं है. पुराने मस्जिदों में आपने देखा होगा कि मस्जिदों में बड़े गुंबद होते हैं लेकिन यह नहीं मॉडल डिजाइन है. मस्जिद में बिजली की बजाय सोलर पावर की व्यवस्था होगी ताकि यह ग्रीन मॉडल की तरह काम कर सके.
कई सालों तक चले लंबे चौड़े विवाद के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अपने फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था. अंतिम फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन दी थी.
2000 लोग एक साथ पढ़ सकते हैं नमाज
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के निर्माण के लिए छह महीने पहले IICF का गठन किया था. अख्तर ने डिजाइन अंतिम रूप दिया है. अख्तर ने बताया कि मस्जिद में एक समय में 2,000 लोग नमाज अदा कर सकेंगे और इसका ढांचा गोलाकार होगा.इसमें आगे की तरफ दो मीनार और एक स्किलेट ग्लास गुंबद होगा. साथ ही 200-बेड का सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भी होगा.
कई सालों तक चले इस विवाद के बाद आखिर फैसला आया तो जाहिर है ऐसी विवादास्पद प्रॉपर्टी को कुछ नया रूप देने में जुटे वास्तुकार विद के भी कई मॉडर्न पहलू हैं. प्रोफेसर अख्तर हमेशा से ही नई शुरुआत पर यकीन रखते हैं. प्रोफेसर अख्तर जामिया में आर्किटेक्चर विषय की शुरुआत करवाई यहां पर उन्होंने अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान वह कई दूसरे विषयों में भी हाथ डालते रहे.
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ही इसकी देखरेख कर रहा है. मस्जिद के परिसर में मस्जिद और शोध संस्थान के अलावा मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल, सार्वजनिक भोजनालय और कुतुबखाना यानी आधुनिक पुस्तकालय भी बनाने की योजना है.
आपको बता दें कि केवल वास्तुविद ही नहीं बल्कि विषय से इतर भी प्रोफेसर अख्तर ने काफी ज्ञान बटोरा है. वह पर्यावरण और आर्किटेक्चर पर कई किताबें और लेख, शोध पत्र एवं व्यक्तित्व दे चुके हैं. इस तमाम लेखन के अलावा उनकी कविताओं की भी एक किताब “बर्फ पर जमी आग” भी प्रकाशित हो चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने 5 एकड़ जमीन यहां मुहैया कराई थी. अब मस्जिद निर्माण की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं. माना जा रहा है कि यहां 26 जनवरी को नींव रखी जा सकती है.
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