अभिनय की दुनिया में दर्शकों को अपने अभिनय और एक्शन से दीवाना बनानेवाले मिथुन दा इन दिनों अपनी राजनीतिक पारी को लेकर चर्चा में बने हुए है। 90 के दशक में उन्होंने सिनेप्रेमियी के दिलों पर राज किया।लोग उनके दमदार आवाज और डॉयलॉग बोलने के अंदाज के दीवाने रहे। उनकी एक्शन ने लोगो को बहुत रोमांच का एहसास कराया।
90 के दशक में जब लोग सिनेमघरो में जाते और मिथुन चक्रवर्ती का फिल्म देखते थे तो सबसे ज्यादा उस पल का इंतजार करते जब मिथुन चक्रवर्ती गुंडे को पीटते या कोई एक्शन सीन करते। उनके स्टंट को भी लोगों ने खूब पसंद किया। डांस इंडिया डांस में मिथुन चक्रवर्ती को सबसे सीनियर जज बनाया गया और से दादा के नाम से मशहूर हो गए। बतौर जज लोगों ने उन्हें खूब पसंद किया और पहले से मशहूर मिथुन एक्टिंग छोड़ने के बाद भी फैन्स से जुड़े रहे और अपनी मौजूदगी बनायी रखी।
उन्होंने राजनीति में भी अपना पाँव आगे बढ़ाया, लोगो के चर्चा में भी रहे, वे विवादों में भी बने रहे लेकिन उनकी राजनीति करियर बहुत ज्यादा सफल नहीं रही। काफी पहले से यह कयास लगाया जा रहा कि मिथुन चक्रवर्ती बीजेपी का दामन थाम सकते है। चर्चा का यह बाजार तब गर्म हुआ था जब उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी।
मिथुन चक्रवर्ती के राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कैसे हुई थी, यह जानना भी दिलचस्प है। पहले उन्होंने ममता बनर्जी के साथ राजनीती से जुड़े और कुछ वर्षों तक सक्रीय रहे। आरम्भ में वे राजनीति से जुड़ने के बाद कुछ दिन के लिये राजनीति से संन्यास ले लिया। लेकिन एक बार फिर वे अपने राजनीतिक फैसले को लेकर चर्चा में बने हुए हैं।
पीएम मोदी की मौजूदगी में हुए बीजेपी मे शामिल
रविवार को नरेंद्र मोदी ने कोलकाता ब्रिगेड परेड मैदान में चुनावी सभा की। इस दौरान बंगाल से जुड़े पार्टी के कई सीनियर नेता मौजूद रहे। पीएम मोदी की मौजूदगी में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। साल 2011 में मिथुन चक्रवर्ती ने टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी का राजनीती में आने का न्योता स्वीकार किया था। उस वक्त ममता बनर्जी चुनाव जीतकर बंगाल की सत्ता संभाली थीं। मिथुन चक्रवर्ती को राज्यसभा का सांसाद बनाया गया लेकिन साल 2016 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति से संन्यास ले लिया।
शारदा कंपनी के थे ब्रांड एम्बेसडर
शारदा चिटफंड घोटाले में उनका भी नाम आया था क्योंकि वे शारदा कंपनी के ब्रांड एम्बेसडर थे तब उन्होंने एक करोड़ दस लाख रुपये यह कहकर प्रवर्तन निदेशालय को लौटा दिया था कि वे किसी के साथ फर्जीवाड़ा करना नहीं चाहते। उन्होंने शुरू से खुद को वामपंथी बताया, फिर दीदी ममता की पार्टी से जुड़े अब बीजीपी से जुड़ने के कयास हैं, ऐसे में यही कहा जा रहा कि राजनीती में कभी भी कुछ भी हो सकता है।
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