कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 21वां दिन है।तीन नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसान नेताओं के बीच अभी तक इस विवाद का हल नहीं निकल सका है. जिसके वजह से सरकार और किसानों के बीच तकरार बनी हुई है. इस प्रदर्शन का असर तीन राज्यों की इकोनॉमी पर पड़नी शुरू हो गई है.
एसोसिएटेड चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM) ने दावा किया है कि किसानों के प्रदर्शन से हर दिन 3500 करोड़ रु. का नुकसान हो रहा है। इससे पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की इकोनॉमी पर को नुकसान हो रहा है. किसानों के आंदोलन से ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर असर पड़ा है और सप्लाई चेन टूट गई है। इससे देश भर में फल और सब्जियों की कीमतें बढ़ रही हैं।इन राज्यों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और बागबानी पर निर्भर है लिहाजा फूड प्रोसेसिंग, कपड़ा, ऑटोमोबाइल, फॉर्म मशीनर आदिक उद्योग काफी प्रभावित हो रहे हैं.
ASSOCHAM के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की संयुक्त अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 18 लाख करोड़ रुपए हैं। इस बीच सड़कों पर चल रहे किसानों आंदोलन, नाकाबंदी, टोला प्लाजा, रेलवे गतिविधियों में रुकावट के चलते आर्थिक गतिविधियों में खासी गिरावट आई है।हीरानंदानी ने कहा कि कपड़ा उद्योग, ऑटो कंपोनेंट, साइकिल और खेल के अन्य सामान के उद्योग जो निर्यात बाजार में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं.
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