हुंकार रैली में सीरियल बम ब्लास्ट के आरोप मे गिरफ्तार नौ आतंकियों को कोर्ट की तरफ से सजा सुना दी गई है। आतंकियों को उनके कार्य के अनुसार सजा सुनाई गई है। जिन आतंकियों का कार्य सबसे जधन्य माना गया, उसे कोर्ट ने फांसी की सजा दी है। इससे कम अपराधिक घटना को अंजाम देने वाले आतंकी को उम्र कैद और उसके सहयोगी को साक्ष्य छिपाने के आरोप में दस-दस साल तथा सात साल के कारावास की सजा सुनाई गई है।
दरअसल बोधगया मै बम ब्लास्ट की घटना के सफल हो जाने के बाद आतंकियों द्वारा रायपुर में पटना के गांधी मैदान में होने वाली हुंकार रैली में बम विस्फोट करने की योजना तैयार की गई थी। इसके लिए आतंकवादियों ने विशेष रूप से टाइमर बम बनाया था, जिसे लेकर छह आतंकी इम्तियाज, तारिक उर्फ एनुल, हैदर अली, नुमान अंसारी, मोजिबुल्लाह तथा एक नाबालिग 27 अक्तूबर 2013 को अहले सुबह रांची से पटना पहुंचे थे। इन सभी के पस 20 टाइमर बम थे, जिसे गाँधी मैदान में विस्फोट किए जाने की योजना थी।
दो बम पटना जंक्शन और 18 बमों को गांधी मैदान मे लगाने की थी योजना
जिस दिन विस्फोट की घटना को अंजाम दिया गया था, उस दिन पटना आने पर न्यू बाइपास पर जाम होने की वजह से सभी बस से उतर गये थे। इसके बाद इम्तियाज व तारिक उर्फ एनुल दो बम लेकर पटना जंक्शन चले गये थे, जबकि हैदर, नुमान, मोजिबुल्लाह व एक अन्य रैली में शामिल होने वाले लोगों के साथ गांधी मैदान पहुंच गये थे। दो बम को पटना जंक्शन पर प्लांट किया गया था और 18 बमो को गांधी मैदान परिसर मे जगह्-जगह् पर लगाये गया थे।
आतंकियों की साजिश थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन व भाषण के दौरान ही बम ब्लास्ट की जाए। इसे अंजाम देने के लिए बम को अलग-अलग टाइम 11.30 के बाद सेट किये गये थे । जिसमें पटना जंक्शन से लेकर गांधी मैदान तक छह बम ब्लास्ट भी हुए थे और 14 बम को निष्क्रिय कर जब्त कर लिया गया था। इस घटना में छह लोगों की मौत भी हो गयी थी, जबकि 89 लोग घायल हुए थे।
किस आतंकी की क्या थी भूमिका
इम्तियाज व एनुल बम लेकर पटना जंक्शन पहुंचना था, उन दोनों ने ऐसा ही किया और पटना जन्क्शन् के प्लेटफॉर्म नंबर दस के शौचालय में बम प्लांट कर दिया था। इम्तियाज ने अपना काम योजना के अनुकूल कर लिया, लेकिन एनुल बम प्लांट नहीं कर सका, और बम ब्लास्ट कर गया। इसके बाद इम्तियाज नाम का आतंकी तारिक को लेकर वहां से निकलने की कोशिश करने लगा लेकिन पुलिस व धर्मा कुली के सहयोग से इम्तियाज को गिरफ्तार कर लिया। एनुल को आइजीआइएमएस में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। इम्तियाज के बयान पर एनआइए ने रांची, मिर्जापुर आदि इलाकों में छापेमारी किया और सभी आरोपी आतंकियों को गितफ्तार कर लिया गया।
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