सावन का महीना शुरू हो गया है, ऐसे में भारी तादाद में भक्त शिव मंदिरों और गंगा घाट पर पूजन करने बेलपत्र और फूल चढ़ाने जा रहे हैं। इस कड़ी में गंगा घाट और शिव मंदिरों में इकट्ठा होने वाले बेलपत्र और फूलों को लेकर नगर निगम की ओर से एक बड़ा फैसला किया गया है। निगम के इस फैसले के तहत इस बात का खासतौर पर ध्यान रखा जाएगा कि भगवान शिव और गंगा घाट पर चढ़ाए जाने वाले इन फूलों और बेलपत्र से गंगा प्रदूषित ना हो।
चढ़ाये गए बेलपत्र-फूलों के निस्तारण पर सरकार कर रही विचार
भारी मात्रा में पूरे सावन में चढ़ने वाले बेलपत्र और फूलों को लेकर भागलपुर नगर निगम व उद्योग विभाग की ओर से अब तक कोई योजना नहीं बनाई गई है, लेकिन यहां के सिटी मैनेजर रमेश चंद्र वर्मा का कहना है कि भविष्य में इस पर जल्द ही योजना बनाई जाएगी। जिसके मद्देनजर फूलों और बेलपत्र के जरिए जैविक खाद बनाने के साथ-साथ अगरबत्ती व सेंट बनाने का काम होगा।
मौजूदा समय में बाबा बैजनाथ मंदिर में रोजाना श्रद्धालु पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक करने के पश्चात उस पर फूल और बेलपत्र चढ़ाते हैं। मंदिर प्रबंधन के सामने भारी तादाद में इकट्ठा होने वाले फूलों और बेलपत्र से निपटना एक चुनौती होता है। ऐसे में मंदिर परिसर को साफ सुथरा रखना भी बड़ी परेशानी बन जाता है, जिसे देखते हुए देवघर कृषि विज्ञान केंद्र ने यह तरकीब निकाली है कि मंदिर से निकलने वाले फूलों और बेलपत्र से केंचुआ खाद बनाई जाएं। साथ ही इससे जैविक खेती के लिए किसानों को भी सुचारू रूप से लाभ मिलेगा। बता दे फिलहाल ये खाद ₹8 प्रति किलो की दर से बिकती है।
लोगों को मिलेगा दोहरा लाभ
गौरतलब है कि अगर नगर निगम भागलपुर में बेलपत्र और फूलों के वेस्टेज के निस्तारण की व्यवस्था करता है, तो इससे आम जनता को दोहरा लाभ मिलेगा। पहला खराब होने वाले फूल-बेलपत्र से अगरबत्ती व जैविक खाद तैयार किया जा सकेगा। साथ ही बेरोजगार लोगों को इसमें काम करने से रोजगार भी मिलेगा।
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