गुरकिरपाल ने लेक्चरर की नौकरी छोड़ खेती में लगाया दिमाग, आज कमाते हैं दुगना पैसा,पढ़िए इनकी कहानी

भारत एक कृषिप्रधान देश है. यहाँ ज़्यादातर आबादी किसानी करती है. पर किसानी को मुनाफे का कारोबार नहीं समझकर लोग मूर्खता वाला काम करते हैं. लोगों की इसी धारणा को झूठ साबित कर रहे हैं गुरकिरपाल और उनकी ये सच्ची कहानी. आपको बता दें कि गुरकिरपाल ने लेक्चरर की नौकरी छोड़कर जैविक खेती में अपना दिमाग लगाया.और आज वो एक सफल किसान के तौर पर लाखों लोगों को प्रोत्साहित करते हैं.उन्होनें जैविक खेती से ही लाखों रूपए की कमाई भी कर ली है. तो चलिए जानते हैं क्या है गुरकिरपाल की कहानी ?

कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री थी, पर खेती में लग गया मन

 

37 वर्ष के गुरकिरपाल पंजाब से ताल्लुक रखते हैं.उन्होनें कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढाई के बाद एक लेक्चरर की नौकरी की. लेकिन उन्हें नौकरी करना गुलामी करने के बराबर लगता था.इसलिए उन्होनें नौकरी छोड़कर पॉलीहॉउस लगाने का निर्णय लिया. उस पॉलीहॉउस में उन्होनें टमाटर लगाएं.इस खेती से उन्हें लगभग 1 लाख 40 हज़ार का फायदा हुआ. इसके बाद उन्होनें ग्रीनहाउस के निर्माण का काम भी शुरू किया. इसमें उन्होनें “हाइड्रोपोनिक्स”विधि से खेती की शुरुआत की.इस खेती में उन्होनें टमाटर और मिर्च की फसल उगाई. इसी विधि के द्वारा गुरकिरपाल कई तरह की सब्ज़ियां उगाने लगें.

ब्राह्मी के पत्तों की जानी खासियत, पौधे उगाकर मुनाफे कमाएँ

 

गुरकृपाल ने हाइड्रोपॉनिक्स विधि से ही ब्राह्मी का पौधा भी लगाया था. इस पौधे को ब्रेन टॉनिक भी कहा जाता है.ऐसा इसलिए क्योंकि इससे मस्तिष्क तेज़ होता है और मानसिक स्थिति ठीक रहती है. ब्राह्मी की पत्तियों का सलाद बनाकर खाया जाता है. इस खेती के सफल होने के बाद उन्होनें लहसुन और प्याज की भी खेती शुरू की. इसके बाद उन्होनें अपने उत्पादों को मार्केट में बेचना शुरू किया. इसके ज़रिये उन्होनें कई लोगों के ठीक किया.और कई लाख रूपए मुनाफे के तौर पर कमाए.

 

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