सावधान! फर्जी डॉक्टरों से सावधान! अगर आप सरकारी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है। कई फर्जी डॉक्टर घूम रहे हैं वह भी यहां वहां नहीं बल्कि पटना एम्स में जी हां मामला पटना एम्स से जुड़ा है। जहां कोविड-19 के इलाज के नाम पर फर्जी डॉक्टरों ने मोटी रकम वसूल ली है। पीड़ित परिवार अब इंसाफ के लिए महीने भर से थाने के चक्कर काट रही है। अब पीएमओ को भी ट्वीट कर इस मामले के बारे में जानकारी दी है।
रोहतास की रहने वाली साक्षी गुप्ता ने 17 जुलाई को अपने पिता लाल बाबू गुप्ता को कोरोना होने के बाद पटना के एम्स में भर्ती करवाया था। भर्ती करवाने के एक दिन बाद ही जयप्रकाश नामक शख्स ने खुद को एम्स का डॉक्टर बताया। नियमों के मुताबिक कोरोना मरीज के अलावा परिजनों को वार्ड में जाने की इजाजत नहीं होती है। ऐसे में परिजनों को बाहर कैंपस के बाहर इंतजार करना पड़ता है जिसका फायदा जयप्रकाश ने उठाया।
इसके बाद जयप्रकाश ने मरीज का बेड पर इलाज की तस्वीर दिखाकर साक्षी को गुमराह किया। उसके अगले दिन है वीडियो कॉल पर बात भी करवा दी इसके बाद साक्षी के मन में विश्वास बढ़ गया। मौका देखते ही जयप्रकाश अपने प्लान के तहत अचानक एक दिन साक्षी के पास पहुंचा और बताया कि आपके पिता की हालत काफी गंभीर हो चुकी है, उन्हें तुरंत 3 इंजेक्शन देने पड़ेंगे और एक इंजेक्शन की कीमत 20 हज़ार रुपये है। साक्षी ने तुरंत दो इंजेक्शन के लिए 40 हज़ार रुपये दे दिए। हालांकि कुछ घंटे बाद ही जयप्रकाश तीसरे इंजेक्शन के पैसे मांगने पहुंचा तब साक्षी को लगा कि कुछ तो गड़बड़ है इसके बाद उसने पैसे देने से इनकार कर दिया।
जब तक साक्षी को इस बात पर शक हुआ कि उसके साथ जरूर कुछ फ्रॉड किया जा रहा है तब तक आरोपी ने 40 हज़ार रुपये का चूना लगा चुका था। बाद में साक्षी को पता चला कि उनके पिता की कोरोना से मौत हो गई है। मौत के बाद आरोपी जयप्रकाश कहीं नजर नहीं आया और ना ही वह फोन उठा रहा था। इसके बाद साक्षी ने फुलवारीशरीफ थाने में आरोपी शख्स के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। साक्षी नें पीएमओ में शिकायत की और फुलवारी थाने में 24 जनवरी को जयप्रकाश के खिलाफ मामला दर्ज कर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन फुलवारी पुलिस ने अबतक कोई करवाई नही की है’।
पिता की मौत के बाद साक्षी पूरी तरह टूट चुकी है लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले में एम्स को जांच देने का आदेश दिया है। अब जाकर साक्षी को थोड़ी बहुत राहत तो मिली ही है। सरकार के जांच के आदेश के बाद प्रशासन ने पूरे मामले की जांच की तो पता चला जब प्रकाश नाम का शख्स एम्स में कार्यरत ही नहीं है। एम्स के अधीक्षक ने बताया कि जयप्रकाश कोरोना के वार्ड तक कैसे पहुंचा और अगर नहीं पहुंचा तो फिर मरीज की तस्वीर कैसे बाहर आई और वीडियो कॉल कैसे हुई? इस सभी मामले पर फुलवारी शरीफ के एसएचओ रफीकर रहमान ने कहा कि आरोप के आधार पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
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