कहते है जीवन में अगर माँ बाप नही तो जीवन का कोई महत्व नही बचता। बहुत हिम्मत वाले होते हैं वो लोग जो बिना माँ-बाप के अपने जीवन में खड़े होते है और मजबूती से हर उतार चढ़ाव को पार कर जाते है। आज हम आपको एक ऐसे ही मजबूत शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन में हर परिस्तिथियों का डट कर सामना किया और अपने माँ बाप की आखिरी इच्छा को पूरा किया।
मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून से ताल्लुक रखने वाली मोनिका राणा बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थी । उनके माता पिता का यह सपना था कि वह एक प्रशासनिक अधिकारी बने। मोनिका ने अपने स्कूल की पढ़ाई देहरादून से ही पूरी की। लेकिन अचानक उनकी जिंदगी में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने पूरी काया पलट कर रख दी। बेटी को अफसर बनता देखने की चाहत रखने वाले मोनिका के माता पिता की अचानक साल 2012 में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई जिसके बाद मोनिका पूरी अकेली हो गई और उनका पूरा परिवार बिखर गया. लेकिन मोनिका की बहन जो कि दिल्ली के एक बैंक में मैनेजर हैं उन्होंने मोनिका का हौसला टूटने नही दिया और उन्हें प्रोत्साहित करती रही।
माता पिता चाहते थे बेटी प्रशासनिक अफसर बने
माँ-बाप के मौत के बाद जैसे तैसे मोनिका ने अपनी हिम्मत मजबूत की और मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए साल 2015 में मद्रास चली गई। अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई यूं तो मोनिका ने पूरी कर ली मगर उन्हें अभी भी एक कमी सी खल रही थी। दरअसल उनके माता पिता चाहते थे कि वह एक प्रशासनिक अफसर बने और मोनिका के पास अपने माँ बाप को खोने के बाद एक मात्र लक्ष्य था कि वह उनके हर सपने को पूरा करें। इस फैसले के साथ मोनिका ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और साल 2015 और 2016 के असफल रही। लेकिन उन्होने हिम्मत नही हारी बल्कि अपने इरादों को और मजबूत कर लिया। अपनी बेहतर तैयारियों के लिए मोनिका ने वेदांता कोचिंग सेंटर में अपनी पढ़ाई शुरू की और फिर दिल्ली के श्री राम सेंटर से कोचिंग कर साल 2017 में वापिस यूपीएससी के परीक्षा में बैठी।
IAS बन किया आखिरी इच्छा को पूरा
2017 में परीक्षा देने के बाद 2018 में उसके रिजल्ट की घोषणा हुई जहां कुल 990 उम्मीदवारों ने परीक्षा पास किया था जिनमे से 750 पुरुष और 240 महिलाएं थी और इन्ही कैंडिडेट्स में से एक थी मोनिका राणा। मोनिका ने इस परीक्षा को पास कर आल इंडिया 577वां रैंक हासिल किया था।
मोनिका के परीक्षा पास करने के बाद सबने उन्हें खूब बधाइयां दी मगर उनकी आंखें अपने माता पिता को तलाश रही थी। मोनिका के माता पिता का यह सपना था कि वो अपनी बेटी को अफसर बनते देखे, उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होता देखे, लेकिन अब जब उनकी बेटी ने उनका ये सपना पूरा कर दिया था तो वेलोग वहां मोनिका के साथ उनकी खुशियों में शामिल होने के लिए नही थे। लेकिन मोनिका ने बेहद ही मजबूती से काम लिया। वो चाहती तो माँ बाप के गुजर जाने के बाद जीवन से निराश हो कर बैठ सकती थी पर उन्होंने ऐसा नही किया और उनके सपने को पूरा करने के लिए अपनी जी जान लगा दी।
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