सीएम नीतीश को मोदी सरकार से बड़ा झटका, केंद्र ने कहा- जाति जनगणना का कोई इरादा नहीं

ओबीसी विधेयक राज्यसभा से भी पास हो गई है और फिलहाल जातिगत जनगणना किए जाने की कोई संभावना नहीं है। इतना ही नहीं, 2011 की सामाजिक-आर्थिक जातिगणना के आंकड़े भी जारी नहीं किये जाएंगे। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) की सूची बनाने का अधिकार देने वाले विधेयक (127वां संविधान संशोधन) को बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया और इसके समर्थन में 187 मत पड़े। इसे संसद की मंजूरी मिल चुकी है और यह लाेकसभा से पास हो चुका है, अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि फिलहाल सरकार का जाति जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं है।

राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है। लोकसभा को सुबह ही अनिश्चित काल के स्थगित कर गया था। विधेयक पर विपक्षी द्वारा संशोधनों का प्रस्ताव लाया गया था जिसे खारिज कर दिया गया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने विधेयक पर हो रही चर्चा के दौरान कहा कि 50% आरक्षण की सीमा 30 साल पहले शुरु हुई थी। बदलते समय के साथ इस पर विचार किए जाने की जरुरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि यह ऐतिहासिक क्षण है। यह सरकार की वंचित वर्गों की गरिमा, अवसर और न्याय देने का लक्ष्य है।

लालू यादव ने क्या कहा ?

इधर जातीय जनगणना कराने को लेकर विपक्ष एकजूट दिखाई दे रहा है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बातों ही बातों मे राजनीतिक दांव खेल दिया है। उन्होंने इशारो ही इशारो मे केन्द्र सरकार को सचेत कर दिया है। लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि 2021 में होने वाली जनगणना में अगर जातियों की गणना नहीं कराई जाती है तो सिर्फ बिहार मे ही नहीं बल्कि देश के सभी पिछड़े-अतिपिछड़ों के अलावा दलित और अल्पसंख्यक समाज के लोगो द्वारा जनगणना का बहिष्कार किया जा सकता है।

लालू यादव ने यह बड़ा बयान ऐसे वक्त मे दिया है जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी द्वारा सरकार पर जातीय जनगणना को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। इस पूरे मुद्दे पर लालू प्रसाद यादव खुलकर सामने आ गए हैं। सोशल मीडिया के जरिये उन्होंने अपना बयान जारी करते हुए कहा है कि जनगणना के जिन आंकड़ों से देश की बहुसंख्यक आबादी का भला नहीं होता हो तो फिर जानवरों की गणना वाले आंकड़ों का क्या हम अचार डालेंगे?

Manish Kumar

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