आज यानि कि 1 नवम्बर को बिहार रेजिमेंट का स्थापना दिवस है। 1 नवंबर 1945 को ही आगरा में ले. कर्नल आरसी म्यूरलर द्वारा इस रेजिमेंट की स्थापना की गई थी। पिछले 79 सालों से यह रेजिमेंट देश की सेवा कर रहा है। इसकी बहादुरी और वीरता की कहानियां भरी हुई है। भारतीय सेना में इस रेजिमेंट के योद्धाओं के वीरता और विजय गाथा स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
वर्तमान में बिहार रेजिमेंट का केंद्र दानापुर (पटना) में अवस्थित है। जिस समय इसकी स्थापना की गई थी, उस समय यह आगरा में स्थित था, बाद में इसे गया स्थानांतरित कर दिया गया था। 1949 में इसे गया से दानापुर ले जाया गया। अब तक के इतिहास में इस रेजिमेंट के पराक्रम की कई किस्से भरे हुए हैं।
करगिल जंग में भी बिहार बटालियन के जवानों ने दिखाया बहादुरी
पाकिस्तान के विरुद्ध 1999 के करगिल जंग में भी बिहार बटालियन के जवानों ने अपनी भागीदारी निभाई, और दुश्मनों के दाँत खट्टे कर दिए। ”कर्म ही धर्म है” का नारा रखने वाली बिहार बटालियन के जवानों ने ऑपरेशन विजय में पाकिस्तानी सैनिकों के होश उड़ाते हुए हुए जुबार हिल व थारू पर कब्जा किया था।
विपरीत स्थिति में भी हमारे वीरों ने अपनी साहस और पराक्रम की बदौलत पाक सैनिकों को मार गिराया था। मेजर समेत 19 जवानों ने अपनी शहादत से तिरंगा को शान से लहराया था। उस युद्ध में सबसे पहली शहादत इसी रेजिमेंट के मेजर मरियप्पन सर्वानन ने दी थी। बेहद बुलंद छाती के साथ उन्होंने लीड लिया था। शहीद वीरों की स्मृति मे पटना का कारगिल चौक बनवाया गया जो आज भी अपने जवानों की वीरता को याद दिलाता है।
2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में जब पाकिस्तानी आतंकवादियो और घुसपैठियों ने छल से हमले किए थे, तो देश की हिफाजत में तैनात बिहार रेजिमेंट के 15 जवानों ने शहादत दी थी। बिहार रेजिमेंट को भारतीय सेना का एक मजबूत अंग माना जाता है। इस रेजिमेंट के जवान किसी भी दुर्गम और जटिल परिस्थिती में आसानी से खुद को ढाल लेते हैं। दुश्मन पर हमले के वक्त इस रेजिमेंट के जवान ‘जय बजरंगबली’ और ‘बिरसा मुंडा की जय’ का नारा बुलंद करते हैं, और दुश्मनों पर टूट पड़ते हैं।
गलवान घाटी में भी दिया वीरता का परिचय
कुछ महीनों पहले पूर्व लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों मे हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें बिहार रेजिमेंट के जवानों ने फिर से वीरता का परिचय दिया। चीनी सैनिकों के आगे सीना ताने बिहार रेजिमेंट के जवान निडर होकर डटे रहे और कदम पीछे नहीं हटाया।
इस रेजिमेंट के जवानो ने ड्रैगन से लड़ते हुए शहादत दे दी लेकिन दुश्मन को पांव पसारने नहीं दिया। इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना ने अपने 20 जवान खो दिये जिसमें ज्यदातर जवान बिहार रेजिमेंट के ही थे।जांबाज अफसर कर्नल बी संतोष बाबू भी इसी 16 बिहार रेजिमेंट में ही शामिल थे, जो देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए।
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