कोविड के दौर में बढ़ी बेरोजगारी पर बिहार सरकार (Bihar Government) ने काबू पाया है। मार्च 2020 की बेरोजगारी दर से नीचे मार्च, 2022 की बेरोजगारी दर (Bihar Unemployment Rate) है। बता दें कि 2020 के मार्च में राज्य की बेरोजगारी दर 15.4 प्रतिशत थी। जो 2022 के मार्च में नीचे खिसक का 1 प्रतिशत कम 14.4 प्रतिशत आ गई है। जब 2020 के मार्च के आखिरी सप्ताह में कोविड के चलते तमाम पाबंदियों लगी थी तो अगले महीने ही अप्रैल और मई का बेरोजगारी दर (Unemployment Rate In Bihar) राज्य में 46 प्रतिशत के पार चला गया।
नीतीश सरकार की बड़ी उपलब्धि
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों से इस बात की पुष्टि हुई है। बिहार का पड़ोसी राज्य झारखंड बाद कई अन्य देश के राज्य की स्थिति भी कोविड में चरमरा गई थी। बढ़ती बेरोजगारी पर दूसरे देशों के राज्य में भी कमोबेश यही स्थिति थी। 2020 के मार्च में झारखंड की बेरोजगारी दर 8.2 प्रतिशत थी। जबकि इस साल के मार्च में 6.3 प्रतिशत अधिक 14.5 प्रतिशत है।
बता दें कि 2020 के बारे में झारखंड का बेरोजगारी दर 59.2 प्रतिशत तक पहुंच गया था। बेरोजगारी दर कम करने में झारखंड ने कामयाबी पाई है, लेकिन बिहार की तरह सफलता नहीं मिली है। कोविड काल में बढ़ी बेरोजगारी को घटाने के बावजूद भी बिहार का बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत 8 प्रतिशत से अधिक है।
सीएमआईई के आंकड़ों से यह पता चलता है कि बढ़ी हुई बेरोजगारी दर का ग्राहक भले ही नीचे खिसक गया हो, किंतु शहरी इलाकों में बेरोजगारी का दर 2020 के मार्च के तुलना में अभी भी ऊपर है। बिहार का बेरोजगारी दर 2020 के मार्च में 15.7 प्रतिशत थी। ओअभी 17.9 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि सरकार को ग्रामीणों ने बेरोजगारी दर के मामले में ही सफलता मिली है।
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