बिहार(Bihar) की नीतीश सरकार(Nitish Government) हमेशा गरीबों और पिछड़ों के लिए कार्यरत रही है। इस कड़ी में सरकार(Bihar Government) ने जहां एक ओर कोरोना काल में जान गवाने वाले आश्रितों को ₹400000 मुआवजा देने का ऐलान किया था। वही कोनोना काल के दौरान सरकार की ओर से एक और योजना पर मुहर लगाते हुए आम जनता को बड़ी राहत दी गई थी, जिसके तहत मोटर वाहन दुर्घटना(Accidental Death) में जान गवाने वाले आश्रितों को 500000 का मुआवजा(Accidental Claims) देने का प्रावधान किया गया था।
सरकार ने लगाई मुहर
गौरतलब है कि इस योजना के तहत वाहन दुर्घटना में मौत हो जाने पर मृतक के आश्रितों व घायलों को तत्काल अंतरिम मुआवजा दिया जाता है। विगत 15 सितंबर से मोटर वाहन दुर्घटना में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने पर मृतक के आश्रितों को 500000 तक गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को ₹50,000 तक मुआवजा देने का ऐलान किया गया।
राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए इस प्रावधान के तहत बिहार मोटर गाड़ी(संशोधन-1) नियमावली 2021 एवं बिहार मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण(संशोधन) नियमावली 2021 से लागू हो गई है।
कैसे कर सकते हैं आवेदन
सड़क दुर्घटना में मौत या जख्मी होने के दावे के निपटारे के लिए राज्य सरकार द्वारा नई व्यवस्था में जिला परिवहन पदाधिकारी यानी डीटीओ को दावा आवेदन दाखिल करने के लिए अधिकृत किया गया है। इस मामले पर डीटीओ इस काम में थाना मेडिकल अफसर(अस्पताल) की मदद लेंगे, जिसके मद्देनजर यह पता लगाया जाएगा कि जहां घायल हुआ हो या मौत की सूरत में पोस्टमार्टम किया जाए।
क्या है आवेदन की प्रक्रिया
आवेदन की जांच अनुमंडल पदाधिकारी यानी एसडीओ करेंगे, जिन्हें इस नियमावली के तहत दुर्घटना दावा जांच पदाधिकारी बनाया गया है। एसडीओ/एसडीएम दावे से संबंधित बीमा कंपनी के नोडल अफसर को इस मामले में सूचना देंगे।
एसडीएम डीएम को भेजेंगे रिपोर्ट
वह इस मामले में आगे की प्रक्रिया को जारी रखते हुए एसडीएम की तरफ से दावा जांच में ना तो दुर्घटना का स्थल निरीक्षण किया जाता है और ना ही किसी की गवाही ली जाती है। एसजीएम अपनी जांच के बाद मुआवजा राशि या सहायता राशि के भुगतान की सिफारिश जिला अधिकारी यानी डीएम को सौंप देते है।
डीएम की स्वीकृति है जरूरी
इस मामले के अंतिम चरण में मुआवजा राशि भुगतान सचिव जिला सड़क सुरक्षा समिति, सह जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा संबंधित मृतक व्यक्ति के आश्रितों को किया जाएगा। डीएम को इस नियमावली के तहत दुर्घटना दावा मूल्यांकन पदाधिकारी के तौर पर इस पूरी प्रक्रिया का कार्यभार संभाला होगा। इसके साथ ही मुआवजा भुगतान के लिए अनुमंडल पदाधिकारी की अनुशंसा पर ही दुर्घटना दावा मूल्यांकन पदाधिकारी सह जिला अधिकारी अथवा उनके द्वारा प्राधिकृत पदाधिकारी द्वारा अंतिम मुआवजा भुगतान की स्वीकृति दी जाएगी।
कितने दिनों में होगा फैसला
इस प्रकिया में डीएम को आवेदन मिलने के 60 दिनों के भीतर अपना फैसला देने की समय सीमा निर्धारित की गई है। इसके बाद मुआवजा या सहायता राशि का अंतिम भुगतान आश्रितों को कर दिया जाएगा।
मालूम हो कि मृतक के आश्रितों को अंतिम रूप से भुगतान की गई राशि के समायोजन के लिए बीमित वाहनों के लिए संबंधित बीमा कंपनी द्वारा बीमा दावा के रूप में देय राशि बिहार वाहन दुर्घटना सहायता निधि के संबंधित जिला के बैंक खाते में पहुंचाई जाएगी। दुर्घटना की तारीख को बीमा रहित वाहनों की स्थिति में अंतरिम भुगतान की गई मुआवजा राशि के समायोजन के मद्देनजर वाहन के मालिक द्वारा बिहार वाहन दुर्घटना सहायता निधि से संबंधित जिला के बैंक खाता में जमा किया जाएगा।
इसके साथ ही वाहन के मालिक द्वारा इस मुद्दे पर इंकार अथवा उदासीनता की स्थिति में उनके जप्त वाहन की नीलामी कर प्राप्त राशि के अंतरिम रूप से भुगतान की गई मुआवजा राशि का समायोजन किया जाएगा। ऐसे में यदि वाहन की नीलामी से प्राप्त हुई राशि दुर्घटना पीड़ितों को भुगतान की गई अंतिम मुआवजा राशि से कम होगी, तो बाकी राशि का भुगतान उस वाहन के मालिक को करना होगा।
वाहन चालकों से सरकार ने की अपील
सरकार ने इस प्रावधान के साथ ही लोगों से अनुरोध किया है कि वह दुर्घटना के मामलों में कमी लाने में सरकार की मदद करें। नियम अनुसार वाहन चलाएं, हेलमेट पहने, वाहन का बीमा हमेशा अप-टू-डेट रखें और साथ ही सभी यातायात नियमों का पालन भी करें।
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