Wrestlers Protest: देश के लिए कई मेडल जीत कर वैश्विक स्तर पर भारत का नाम रोशन करने वाले पहलवान इस समय दिल्ली की सड़कों पर न्याय की गुहार लगाते नजर आ रहे हैं। आलम यह है कि उनकी ना ही प्रशासन सुन रहा है और ना ही कानून… ऐसे में जंतर मंतर पर धरना कर रहे इन भारी-भरकम पहलवानों के आगे राजनीति के रसूखदार बृजभूषण सिंह का पलड़ा ज्यादा भारी नजर आ रहा है। यही वजह है कि बीजेपी अब तक आरोपी सांसद के खिलाफ चुप्पी साधे बैठी है। ऐसे में आइए हम आपको बताएं कि आखिर बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह कौन है? क्या है बृजभूषण शरण सिंह के राजनीतिक कैरियर की कहानी?
कौन है बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह?
बृजभूषण शरण सिंह का नाम इन दिनों चौतरफा सुर्खियों में है और ऐसा इसलिए क्योंकि देश के कई पहलवानों ने उन पर महिला खिलाड़ियों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं खिलाड़ियों ने उन पर वित्तीय गड़बड़ी के भी आरोप लगाए हैं। ऐसे में खिलाड़ियों की मांग है कि बृजभूषण सिंह अपनी कुर्सी छोड़ दें और इस मामले की जांच पड़ताल बारीकी से सही दिशा में की जाए।
उत्तर प्रदेश के गोंडा में जन्मे बृजभूषण सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई यहीं से की है। बचपन से ही उनका रुझान राजनीति की तरफ खास रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके परिवार में चंद्रभान शरण सिंह पहले से विधायक थे। ऐसे में जब बृजभूषण सिंह बड़े हुए तो उन्होंने कानून की पढ़ाई के लिए अवध यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और इसी दौरान छात्र राजनीति से जुड़ गए। छात्र संघ के अध्यक्ष बने और राजनीति में रखे कदम के साथ ही उन पर आरोपों का दौर शुरू हो गया।
बाबरी कांड में सामने आया बृजभूषण सिंह का नाम
इसके बाद बृजभूषण सिंह ने आरएसएस में कदम रखा। आरएसएस के कई दिग्गज नेताओं के साथ उनकी नजदीकियां बढ़ने लगी। साल 1992 में हुए बाबरी विध्वंस में भी बृजभूषण की अहम भूमिका रही। इस बात का जिक्र खुद उन्होंने अपने एक इंटरव्यू के दौरान किया था और बताया था कि उस रात को वहां मौजूद थे और उन्होंने खुद कार सेवकों की मदद करने का काम किया था। बाबरी विध्वंस के आरोपियों में भी उनका नाम शामिल था। हालांकि जब कोर्ट से सभी को बरी कर दिया गया तो बृजभूषण सिंह भी छूट गए।
1991 में मिली पहली राजनैतिक जीत
राजनीति की गहराई में उतरते-उतरते बृजभूषण सिंह का नाम और भी ज्यादा बड़ा होता गया। 1991 में पहली बार बीजेपी की तरफ से उन्हें लोकसभा से टिकट दिया गया, जिसमें उन्होंने गोंडा में भारी मतों से जीत जीत दर्ज की। अब उनका नाम दिग्गज नेताओं में गिना जाने लगा। आलम यह था कि लगातार राजनीति की दुनिया में उनके बढ़ते कदमों के साथ अब तक 30 से ज्यादा केस दर्ज हो चुके थे।
दाऊद इब्राहिम के साथ थे बृजभूषण के संबंध
इसके बाद साल 1996 में बड़ा खुलासा हुआ और सामने आया कि बृजभूषण के संबंध अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से थे। बृज भूषण के खिलाफ टाडा के तहत मामला भी दर्ज हुआ और उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। इस मामले में फंसने के बाद उन्हें अगले चुनाव में टिकट नहीं मिला, लेकिन उनके चेहरे की धाक कुछ ऐसी थी कि बीजेपी ने उनके बजाय उनकी पत्नी को चुनावी मैदान में उतार दिया और वह जीत भी गई।
जब वाजपयी ने लिखी बृजभूषण सिंह को जेल में चिट्ठी
बृजभूषण सिंह के बढ़ते दायरे और उनकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि जब दाऊद के साथ उनके लिंक का खुलासा हुआ तो उन्हें जेल भेज दिया गया। जेल में बंद बृजभूषण सिंह को बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपयी ने चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्टी में अटल बिहारी वाजपेई ने उन्हें बहादुर बताया था। वाजपयी से यह तारीफ सुनकर बृजभूषण सिंह का कद और भी ज्यादा बढ़ गया और इसके बाद उन्हें दिवंगत विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल का करीबी माना जाने लगा।
बृजभूषण सिंह के गुस्से और घमंड की कहानी भी किसी से छुपी नहीं है। वह बीजेपी के ही नेता थे और बीजेपी के ही कई दिग्गजों से उनकी अनबन थी। ऐसे में उन्होंने एक समय में पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद साल 2009 में उन्हें जब कैसरगंज सीट से सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतारा गया, तो उन्होंने एक बार फिर भारी मतों से जीत दर्ज की। हालांकि साल 2014 में मोदी लहर के दौरान वह खुद बीजेपी में वापस चले आए और इसके बाद एक बार फिर बीजेपी से सांसद बने।
2011 से है कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष
साल 2011 में उन्हें कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष बनाया गया, जिसके बाद से लेकर अब तक वह इस पद पर काबिज है। उन्होंने साल 2019 में तीसरी बार इस पद को संभाला था, जिसके बाद से उन पर अब तक कई गंभीर आरोप लग रहे हैं। यह पहली बार नहीं है जब बृजभूषण सिंह पर इस तरह के आरोप लगे हो। बृजभूषण सिंह का अपराधिक इतिहास हम आपको पहले ही बता ही चुके हैं और बात उनके खिलाफ आरोपों की करें तो बता दे कि उन पर अंडरवर्ल्ड लिंक, गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट जैसी कई धाराओं के तहत मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से कई में तो वह बरी भी हो गए हैं। ऐसे में अब पहलवानों के साथ चिड़ी उनकी जंग का क्या नतीजा निकलता है… यह तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा।
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