बिहार सरकार (Bihar Government) ने पर्यावरण को दूषित करने वाले और प्रदूषण फैलाने वाले लाल ईंटों के कारोबार को बंद करने का फैसला किया है। यही वजह है कि बिहार में लाल ईंटों का बिजनेस (Red Bricks Business) अब ढलान पर है। गौरतलब है कि बिहार सरकार लाल ईंटों को बनाने वाली चिमनी को अब लाइसेंस (Red Bricks Licence) नहीं देगी। यह फैसला सरकार की ओर से वर्तमान के पारंपरिक बिजनेस में व्यापक बदलाव करने के मद्देनजर लिया गया है। बदलते दौर के साथ अब नीतीश सरकार (Nitish Government) फ्लाई ऐश यानी राख से बनने वाली ईटों के बिजनेस (Fly Ash Bricks) को बढ़ावा देने की कवायद में जुटी हुई है।
फ्लाई ऐश के कारोबार से बनें करोड़पति
नीतीश सरकार ने बदलते हालात और बदलते युवाओं की सोच के मद्देनजर नए बिजनेस की राह को खोलने का फैसला किया है। इसी कड़ी में फ्लाई ऐश यानी राख से बनने वाली ईटों के बिजनेस को सरकार की ओर से बढ़ावा दिया जाएगा। बिहार सरकार ने अपने ताजे फैसले के मुताबिक फ्लाई ऐश के कारोबार को सबसे ज्यादा फलने फूलने वाला कारोबार बताया है। सरकार का कहना है कि इसमें छोटे इन्वेस्टमेंट के साथ बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। साथ ही छोटी सी इन्वेस्टमेंट से ही कुछ सालों में करोड़पति बनना भी आसान है।
अब नहीं मिलेगा लाल नीतियों को लाइसेंस
बिहार सरकार ने मिट्टी की ऊपरी परत को बचाने और लाल ईट भट्टों को अब लाइसेंस नहीं देने का फैसला किया है। नई व्यवस्था के मुताबिक अब नए लाल ईंट भट्टों को लाइसेंस नहीं मिलेगा। पुराने लाल ईंट भट्टे पहले की तरह ही काम कर सकते हैं। साथ ही सरकार ने ये अभी भी फैसला किया है कि एनटीपीसी के थर्मल प्लांट के 300 किलो वाट के दायरे में एश ईश बनाने वाले कारोबारियों को सरकार खुद ही फ्लाई एस मुहैया कराएगी।
क्या है फ्लाई ऐश ईट कारोबार के फायदे
बता दे अगर आप अकेले बिहार में 500 फ्लाई ऐश ईट निर्माता के तौर पर काम करते हैं, तो थर्मल पावर प्लांट से भारी मात्रा में निकलने वाली फ्लाइट पर्यावरण के लिए संकट पैदा कर सकती है। ऐसे में इसका सही से निस्तारण करना बेहद जरूरी है। इस बात का ध्यान रखते हुए सरकार ने फ्लाई ऐश से ईट बनाने के बिजनेस को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है। साथ ही सरकार के इस फैसले से दो समस्याओं से एक साथ निजात मिल जाएगी। इससे ना सिर्फ लाल ईटों का इस्तेमाल सुनिश्चित होगा, बल्कि पारंपरिक एक बिजनेस से मिट्टी की ऊपरी परत को हो रहे नुकसान पर भी लगाम लग जाएगी। दूसरा लाल इटों के मुकाबलें ऐश ईटों के कारोबार में कम लागत लगती है।
कम इन्वेस्टमेंट के साथ शुरू करें फ्लाई ऐश से ईट बनाने का बिजनेस
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फ्लाई ऐश ब्रिक्स बिजनेस को लेकर दी गई जानकारी में बताया गया है कि फ्लाई ऐश से ईट बनाने का बिजनेस महज 2 लाख रुपये इन्वेस्टमेंट के साथ शुरू किया जा सकता है। इसकी मैनुअल मशीन 2 लाख रूपये से मिलने लगती है। ऐसे में अगर आप ऑटोमेटिक मशीन की बात करते हैं, तो इन्वेस्टमेंट थोड़ा बढ़ जाता है। ऑटोमेटिक मशीन खरीदने में करीबन 10 से 12 लाख रुपये पए की इन्वेस्टमेंट लागत आती है। ऐसे में जहां मैनुअल मशीन से आप हर रोज 3000 बना सकते हैं, तो वहीं ऑटोमेटिक मशीन से महज 1 घंटे में 1000 ईटें बनाई जा सकती है।
फ्लाई ऐश से बनने वाली 8 का मुनाफा कितना है
बता दी फ्लाई ऐश से ईट बनाने का बिजनेस काफी तेजी से चल रहा है। हालांकि इसमें लगने वाली सामग्रियों की उपलब्धता अभी भी चुनौती बनी हुई है। ऐसे में अगर आप थर्मल पावर प्लांट के 300 किलोमीटर के दायरे में अपना कारोबार शुरू करते हैं, तो आपको इसकी कच्ची सामग्री की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार खुद ही आपको फ्री में फ्लाई ऐश मुहैया कराएगी। साथ ही अगर आपको इससे बाहर से खरीदना पड़े तब भी यह बिज़नेस आपको काफी मुनाफा देगा। कच्ची सामग्री खरीदने पर एक ईट बनाने की लागत ₹1 के करीब बैठती है और इसे बाजार में ₹4.50 से ₹5 की लागत में बेचा जाता है। यानी एक ईट पर आपको ₹3.50 से ₹4 तक का फायदा होता है।
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