सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच में अब अमेरिका करेगा मदद, डिजिटल फुटप्रिंट से खुल सकते हैं कई राज!

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के रहस्यात्मक मौत के बाद कई सारी एजेंसिया उनके मौत के पीछे के राज का पता लगाने में छिपे हुए हैं। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) अब इस मामले में उन डिजिटल फुटप्रिंट भी पहचान करने में जुटी हुई है जो मिटाये जा चुके हैं। इसके लिए सीबीआई ने अमेरिका से सहायता मांगी है।

डिलीट किए जा चुके डेटा को वापस  पाने के लिए प्रयास किया जा रहा

दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट्स के सभी डिलीट किए जा चुके डेटा को वापस से पाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। कहा जा रहा कि सीबीआई द्वारा इस मामले में कई राज पर से पर्दा उठाया जा चुका है। CBI का मानना है कि डिलीट किये गये सोशल मीडिया पोस्ट और ईमेल से इस केस में अहम सुराग मिल सकते हैं। सीबीआई यह पता लगाना चाहती है कि 14 जून 2020 को क्या- क्या हुआ था। इसी दिन सुशांत सिंह को उनके घर में मृत पाया गया था।

सीबीआई अमेरिका से यह उम्मीद इसलिए भी कर रहा है कि एमएलएटी यानी म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी हुई है। इसके तहत कैलिफोर्निया स्थित गूगल और फेसबुक से भी मदद मांगी गयी है। डिलीट किए जा चुके मेल और चैट की सभी जानकारियों को इन दोनों कंपनियों से वापस पाने की कोशिश की जा रही है।

अमेरिका और भारत द्वारा घरेलू मामलों की जांच में जानकारी मांगी जा सकती है। मालूम हो कि इस प्रकार की जानकारी या सहयोग के लिए भारत में गृह मंत्रालय एमएलएटी के तहत जाना पड़ता है। अमेरिका में भी इस तरह की एटॉर्नी जनरल का कार्यालय स्थित है। सीबीआई इस केस की जांच में लगी हुई रही है। एक अधिकारी द्वारा कहा गया है कि मामलों की जांच के लिए यह अहम सुराग साबित हो सकता है, डिलीट की हुई चैट या पोस्ट से कई तरह के राज का खुलासा हो सकता है।

तह तक जाने में मिलेगी मदद

सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से ही इस मामले की जांच की जा रही थी। यह जांच कब खत्म हो गयी, यह एक बड़ा सवाल है। लेकिन अमेरिका से मांगी गयी मदद के आधार पर कहा जा सकता है इस मामले के तह तक जाने में अभी और समय लगेगा, क्योकि  इस जानकारी हासिल करने में वक्त लगता है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई द्वारा अगस्त 2020 में इस मामले की जांच की कमान अपने हाथ में ली गई थी। इस केस की जांच में प्रवर्तन निदेशालय और एनसीबी भी जुड़ी हुई हैं।

Manish Kumar