बिहार: पटना में गंगा नदी के किनारे जेपी गंगा पथ का निर्माण, डाक्‍टरों बहाली की बदली प्रक्रिया

शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बिहार मंत्रिमंडल की बैठक की गई जिसमें कई महत्‍वपूर्ण फैसले लिये गए। बैठक मे पटना में गंगा नदी के किनारे जेपी गंगा पथ के निर्माण के लिए सरकार आवास व शहरी विकास निगम (हुडको) से दो हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने का फैसला किया गया। इसके अलावा पटना में दीघा से दीदारगंज तक 20.5 किमी लंबे पथ तक चल रहे सड़क निर्माण कार्य सुचारू रूप से करने के लिए पथ निर्माण विभाग हुडको से दो हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने का प्रस्ताव पेश किया गया।

मंत्रिमंडल द्वारा राज्य सरकार को इस बात का यकीन दिलाया गया है कि हुडको से ऋण प्राप्त करने के बाद निर्धारित अवधि मे इस राशि की ब्याज सहित वापसी कर दी जायेगी। इन सभी परियोजनाओ पर काम संपन्न होने से पटना शहर को सबसे ज्यादा फायदा होगा, और ट्रैफिक जाम की समस्या बहुत हद तक कम हो जायेगी।

डाक्‍टरों बहाली की बदली प्रक्रिया

इसके साथ ही बैठक मे बिहार स्वास्थ्य सेवा (नियुक्ति एवं सेवा शर्त ) (संशोधन) नियमावली -2021 के गठन को मंजूरी दे दी गई है। इस नियम के अन्तर्गत विदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई करके बिहार आने वाले एमबीबीएस छात्रों को भी नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की परीक्षा में प्राप्त अंक के आधार पर ही नौकरी दी जायेगी। गौरतलब है कि इससे पहले विदेश से एमबीबीएस किए हुए छात्रो को बिहार मे विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा दिए गए प्राप्तांक के प्रतिशत का आधा मान्य होता था।

शुक्रवार को मंत्रिमंडल की बैठक मे राज्य कर्मियों और उनके आश्रितों के चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए पूर्व से दी गई शक्तियों में संशोधन के को भी मंजूरी दी गई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अब तक मंत्रिमंडल द्वारा सिविल सर्जन को 50 हजार, सचिव को पांच लाख रुपये तक तथा पांच लाख रुपये से अधिक तक चिकित्सा व्यय की अनुमति दी जाती थी। लेकिन अब इसमें संशोधन को स्वीकार करते हुए सिविल सर्जन को 50 हजार तक के मेडिकल खर्च, जबकि सचिव को पांच के स्थान पर 10 लाख रुपये तक की चिकित्सा व्यय की अनुमति दे दी गई है। लेकिन 10 लाख रुपये से अधिक प्रतिपूर्ति के लिए मंत्रिमंडल के फैसले के बाद ही अनुमति मिल सकेगी।

इधर मंत्रिमंडल द्वारा स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव पर मधुबनी में कार्यरत चिकित्सक के विरुद्ध कार्यवाही की गई है। डा. उदय शंकर पर 2005 से लगातार सेवा से गायब रहने के आरोप में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। तो वहीं सदर अस्पताल आरा में चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित डा. कुसुम सिन्हा कालमान वेतन पर अवनत करते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया है।

Manish Kumar

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