बिहार: 116 साल बाद किया जाएगा मंदिरों-मठों का सर्वे, भगवान के नाम पर होगा मंदिरों की ज़मीन

अब से राज्य के मंदिरों एवं मठों के के लिए दान में दी गयी जमीन के मालिक देवता ही होंगे। जी हाँ! इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से 20 जिलों में सर्वे शुरू कराया गया है। इस सर्वे का उद्येश्य मंदिर, मठ और अन्य धार्मिक देवता या मंदिर को दान में दी गयी भूमि का पहचान करना है। इसके बाद उस भूमि को मंदिर के भगवान के नाम कर दिया जायेगा। वह भूमि अब किसी निजी व्यक्ति या संस्था के हाथ मे नहीं रहेगी। प्रदेश के विधि मंत्री प्रमोद कुमार और बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद और परिषद से विमर्श के बाद यह फैसला किया गया है। देखा जाए तो 1905 के बाद पहली बार है जब सभी मठ-मंदिरों की जमीन का सर्वे किया जाएगा।

दरअसल बिहार में मंदिर के नाम पर हजारों बीघा जमीन दान स्वरुप दी गई है। सरकार के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। इस तरह की ज़मीन का सर्वेक्षण करने के बाद इस ज़मीन पर काबिज भू माफिया के खिलाफ सरकार कार्य वाही करेगी। ऐसी भूमि को सरकार अपने कब्जे मे लेकर उसका स्वामित्व प्रमाण पत्र मंदिर के भगवान के नाम पर करेगी।बिहार राज्य धार्मिक न्यास ने एक पोर्टल तैयार किया है, जिस पर जमीन का रकबा, खाता और खसरा अपलोड किया जायेगा। इसके द्वारा मंदिर की जमीन की मॉनीटरिंग की जा सकेगी। सभी जिले को ऐसे मंदिरों की जमीन का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करना है, इसके लिए एक माह का समय दिया गया है।

बहुत जल्द ही पोर्टल का लोकार्पण किया जानेवाला है। पटना जिले की बात करें तो एक सौ पचास एकड़ जमीन केवल राम जानकी या वैष्णव मठों के नाम है। इसके अलावा कबीर और शिव मठों के नाम भी काफी संपत्ति है। वैशाली में एक सौ बीस मंदिरों के पास सैकड़ों एकड़ जमीन है। इन सब बातो की जनकारी भाजपा कार्यालय में आयोजित सहयोग कार्यक्रम में विधि मंत्री द्वारा दी गई है।

राज्य भर मे जो मंदिर हैं उनकी संख्या हज़ारों मे है, और हजारों एकड़ जमीन मंदिर के लिए दी गई है। यह भी जानकारी सामने आई है कि ऐसे भी सैकड़ों मंदिर हैं, जिनका अभी तक संबंधन ही नहीं है। इनकी भी करोड़ों की जमीन है। पटना जिले के 23 अंचल में 140 मंदिरों के पास 275 एकड़ जमीन है। विधि मंत्री प्रमोद कुमार द्वारा बताया गया है कि मंदिरों की जमीन के प्रबंधन के लिए रणनीति तैयार कर ली गई है। सर्वप्रथम मंदिरों को दान में दी गयी जमीन का सर्वेक्षण किया जा रहा जिससे विवरण हासिल होगा। उसके बाद मंदिरों की समूची संपत्ति का स्वामित्व प्रमाण पत्र उस मंदिर के नाम कर दी जायेगी।

Manish Kumar

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