Sonpur Mela 2022: बिहार का सोनपुर मेला पूरे देश में काफी प्रसिद्ध है। इस मेले में दूरदराज से लोग आते हैं। एक समय में सोनपुर मेले की पहचान पशु मेले के तौर पर होती थी। इस मेले को एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला भी कहा जाता था, लेकिन बदलते दौर के साथ आज इसकी पहचान नौटंकी कंपनियों की बालाओ, उनके नाच और लाउडस्पीकर पर बजते गानो के बीच सिमट कर रह गई है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अब सोनपुर मेले की पहचान नौटंकी थिएटर के तौर पर ही रह गई है।
नौटंकी थिएटर बनकर रह गया है सोनपुर मेला
सोनपुर मेले में अब हर साल अलग-अलग राज्यों से थिएटर बालाएं अपना मनमोहक डांस दिखाने और अपनी अदाओं पर लोगों को नचाने आती है। कई दशकों से हो रहे इस मेले में थिएटर बालाएं थियेटर दिखाने आती है। यहां के लोगों का कहना है कि इस मेले में थिएटर दिखाने की परंपरा शुरू से ही चली आ रही है। इसे देखने के लिए भारी तादाद में लोग आते हैं। एक महीने तक चलने वाले सोनपुर मेला में लोग घूमते हैं, फिरते हैं, खाते-पीते हैं और रात को संगीत और नृत्य का लुत्फ उठाते हैं।
कब से शुरू हुआ था सोनपुर मेला में थियेटर
यहां रहने वाले कुछ क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि साल 1909 में सोनपुर मेले में थिएटर का आयोजन शुरू हुआ था। हालांकि साल 1934-35 में मोहन खां की नौटंकी कंपनी पहली बार यहां की रौनक बनी थी। इस कंपनी में आई गुलाबी बाई और कृष्णा बाई जैसे मंझे कलाकारों ने पहली बार यहां पर नौटंकी दिखा कर काफी तारीफें बटोरी थी। इसके बाद से शुरू हुआ नौटंकी का दौर अब तक जारी है।
सोनपुर मेले में आज भी गुलाबी बाई की नौटंकी और उनके थिएटर को याद किया जाता है। सोनपुर की मिट्टी पर लैला मजनू से लेकर राजा हरिश्चंद्र आदि नाटकों में गुलाबी बाई की अदाकारी यादगार रही है। हर साल कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होने वाले इस मेले में आमतौर पर 5 से 6 थिएटर कंपनी आती है, जिनकी टीम में 50 से 60 लड़कियों का दल लोगों का मनोरंजन करने आता है।
इस साल सोनपुर मेले में आई 5 थिएटर कंपनियां
बता दे सोनपुर मेला 2022 में पांच थिएटर कंपनियां लोगों का मनोरंजन करने आई है, जिसमें से गुलाब, शोभा सम्राट और पायल शामिल है। मालूम हो कि कोरोना कॉल के 2 साल के अंतराल के बाद सोनपुर मेले का आयोजन किया गया है। ऐसे में इस बार के सोनपुर मेले में भारी तादाद में दर्शकों की भीड़ थिएटर देखने उमड़ रही है।
यहां आने वाली यह थिएटर मंडली लोगों का मनोरंजन करने के लिए गीत-संगीत, नौटंकी, सुसंस्कृत परंपरा, नाच आदि के जरिए लोगों का मनोरंजन करती है। इस मेले के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के चलते यह मेला सिर्फ देश नहीं बल्कि विदेशी सैलानियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहता है।
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